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हल्टीघाटी का नया इतिहास, हटेगा महाराणा प्रताप की सेना के पीछे हटने के दावे वाला पत्थर, एएसआई ने लिया फैसला

हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना को पीछे हटना पड़ा था। अब तक इतिहास में यही पढ़ाया जाता रहा है, लेकिन भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने इसे बदलने का फैसला लिया है। राजस्थान के...

Surya Prakash हिन्दुस्तान , जयपुरThu, 15 July 2021 04:58 PM
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हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना को पीछे हटना पड़ा था। अब तक इतिहास में यही पढ़ाया जाता रहा है, लेकिन भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने इसे बदलने का फैसला लिया है। राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित स्मारक से वह पत्थर हटाया जाएगा, जिसमें लिखा था कि महाराणा प्रताप की सेना को हल्दी घाटी की जंग से पीछे हटना पड़ा था। हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून, 1576 को मेवाड़ के राजपूत शासक महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच लड़ा गया था। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने अपनी स्टेट यूनिट को आदेश दिया है कि स्मारक से उस पत्थर को हटाया जाए, जिसमें महाराणा प्रताप की सेना के पीछे हटने की बात लिखी है।

बीते दिनों कई नेताओं और राजपूत संगठनों ने हल्टी घाटी स्मारक से यह बात हटाने की मांग की थी। राजसमंद की सांसद दीया कुमारी ने भी 25 जून को केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री से इसमें सुधार करने की मांग की थी। इसके बाद संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने स्पष्ट किया था कि एएसआई को सुधार करने का आदेश जारी किया गया है। मंत्रालय की ओर से आदेश जारी करने के बाद मेघवाल ने कहा था कि हल्दीघाटी स्मारक में लगे पत्थर को बदलवाने का फैसला कर लिया गया है। एएसआई को जोधपुर सर्कल के सुपरिंटेंडेंट बिपिन चंद्र नेगी ने कहा कि स्मारक पर लगे पत्थर को हटाने के लिए कह दिया गया है।

नेगी ने कहा, 'स्मारक पर लगा पत्थर 4 साल पुराना है और अब उसकी स्थिति भी थोड़ी खराब हो गई है। वे एएसआई की ओर से लगाए भी नहीं गए थे। उन्हें राज्य के पर्यटन विभाग ने लगवाया था। 2003 में ही इस स्थान को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया था और उसके बाद ही एएसआई ने इसे अपने संरक्षण में लिया था।' नेगी ने कहा कि स्मारक पर लगे पत्थरों में एएसआई का नोटिफिकेशन नंबर लिखा होगा चाहिए। इसके अलावा यह स्मारक राष्ट्रीय महत्व का है, इसके बारे में भी जानकारी मिलनी चाहिए। इसके लिए एएसआई की ओर से लोगो लगाया जाता है। इन पत्थरों में ऐसा नहीं था। इसलिए भी इन्हें बदला जाएगा। 

'इतिहास और पुरातत्व में होता है अंतर, करेंगे जरूरी बदलाव'
नेगी ने कहा कि फिलहाल यहां जो पत्थर लगे हैं, उसमें तथ्यात्मक गलतियां भी हैं। जैसे लड़ाई की तारीख ही गलत लिखी हुई है। ऐसे में एएसआई ने वेरिफिकेशन कराने के बाद सही जानकारी के साथ नए पत्थर लगवाने का फैसला लिया है। इतिहास और पुरातत्व में अंतर होता है। इसका भी ध्यान रखा जाएगा।

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