भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस पूरी जिंदगी आजादी का सपना देखते रहे। लेकिन राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले में उनकी प्रतिमा पिछले 25 साल से ताले में कैद है। इतना ही नहीं उनके नाम पर घोषित एक चौराहा आज भी अपने नाम की सार्थकता की बाट जोह रहा है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर घोषित ‘सुभाष चौक’ बाड़मेर शहर के बीचों-बीच स्थित है। पिछले 25 साल से यह चौराहा नेताजी की प्रतिमा का इंतजार कर रहा है।
1997 में हुआ था तय
गौरतलब है कि साल 1997 में स्थानीय नगर निकाय ने शहर में विभिन्न को विकसित करने की योजना बनाते हुए वहां राष्ट्रीय नायकों की प्रतिमाएं स्थापित करने का निर्णय लिया। इसके बाद शहर में कई चौराहे विकसित किए गए। इन जगहों पर नेताओं की मूर्तियां स्थापित की गईं। इसी के तहत शहर के ठीक बीच में स्थित एक चौराहे का नामकरण नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नाम पर किया गया। साथ ही तय किया गया कि यहां पर नेताजी की प्रतिमा लगाई जाएगी। इसी चौराहे के पास स्थित एक पेट्रोल पंप मालिक ने अपने खर्चे पर नेताजी की मूर्ति की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी ली। इसके बाद पेट्रोल पंप मालिक ने अधिकारियों से प्रतिमा स्थापित करवाकर चौराहे का लोकार्पण कराने की बात कही।
कानूनी पचड़े में फंसा मामला
नेताजी की मूर्ति की व्यवस्था होने के बाद जब उसे स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की गयी, तब एक स्थानीय निवासी ने विरोध करते हुए न्यायालय में वाद पेश कर दिया। इसके बाद मामला कानूनी पचड़े में फंस गया। इसके साथ ही नेताजी की मूर्ति स्थापित करने का मामला खटाई में पड़ गया। तब मूर्ति को सुरक्षित रखने के लिए एक कमरे में रखवा दिया गया। उम्मीद की गयी कि कोर्ट से मामला सुलझते ही मूर्ति चौराहे पर स्थापित की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। पिछले 25 साल से नेताजी की मूर्ति कमरे में बंद पड़ी अपने अनावरण का इंतजार कर रही है। इस बीच मूर्ति की व्यवस्था करने वाले पेट्रोल पंप मालिक हस्तीमल जैन का साल 2004 में निधन हो गया। उनेके बेटे गौतमचंद जैन ने बताया कि आज भी नेताजी की प्रतिमा उनके पास सुरक्षित रखी है। जैन ने कहा कि उनके पिता ने कई बार मूर्ति स्थापना के प्रयास किए, लेकिन असफल रहे।