राजस्थान: गायों को पालने के लिए लेना पड़ेगा लाइसेंस, गहलोत सरकार के नए नियम से 95 प्रतिशत आबादी नहीं पाल पाएगी पशु, जानें वजह
राजस्थान में गहलोत सरकार के नए नियमों ने पशुमालिकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। प्रदेश में गायों को पालने के लिए पशुमालिकों को लाइसेंस लेना पड़ेगा। गोपालन विभाग ने नए नियम बनाए है।
राजस्थान में गहलोत सरकार के नए नियमों ने पशु मालिकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। प्रदेश में गायों को पालने के लिए पशु मालिकों को लाइसेंस लेना पड़ेगा। राज्य के शहरी क्षेत्रों की केटेगरी में आने वाले घरों में गाय-भैंस रखने के लिए एक साल का लाइसेंस लेना होगा। गाय को रखने के लिए 100 गज जगह भी रखनी होगी। यदि जानवर भटकते हुए पाए गए तो मालिकों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा। गहलोत सरकार ने नए गोपालन नियम लागू कर दिए है। गाय और बछड़े से अधिक मवेशी होने पर लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार नगर निगमों एवं परिषदों में ये नियम लागू होंगे
पशु बाहर घूमता पाया गया तो 10 हजार रु. तक जुर्माना
प्रदेश के 213 शहरों में अब एक ही गाय या भैंस पाली जा सकेगी। इसके लिए भी कम से कम 100 वर्गगज जमीन अलग तय कर निगम या पालिका से लाइसेंस लेना होगा। इसके लिए राज्य सरकार ने नए गोपालन नियम लागू कर दिए हैं। इसके तहत पशुमालिक को पाबंद किया गया है कि पड़ोस में रहने वालों को गोबर-मूत्र आदि से कोई परेशानी न हो। हर पशु के कान में टैग बांधना होगा, जिस पर मालिक का नाम, पता व मोबाइल नंबर लिखना होगा। पशु बाहर घूमता पाया गया तो 10 हजार रु. तक जुर्माना होगा। हर 10 दिन में पशु का मल शहर से बाहर ले जाकर डालना होगा। रास्ते या खुले स्थान पर पशु को बांधा नहीं जा सकेगा। पशुपालक कूड़ेदान में एकत्र गोबर आदि को हर 10 दिन में निगम या निकाय की सीमा से बाहर ले जाएगा, केंचुआ खाद बना सकेगा। लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन होने पर 1 माह के नोटिस पर लाइसेंस रद्द होगा, उसके बाद पशु नहीं पाल सकेंगे।
95 प्रतिशत आबादी नहीं पाल पाएगी पशु
गहलोत सरकार के नए नियम से करीब 95 फीसदी आबादी पशु नहीं पाल पाएगी। नियमों के अनुसार जिन लोगों के मकान 500 वर्गमीटर से बड़े होंगे, वे ही 100 वर्गगज जमीन एक गाय बछड़े के लिए अलग रख सकते हैं। शहरों में 500 वर्गमीटर से बड़े आवासों वाले लोग 5% भी नहीं हैं। यानि 95% आबादी गाय-भैंस नहीं पाल पाएगी।
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