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राजस्थान का IPS अधिकारी 27 पुलिसवालों से ऐंठता था पैसे, भ्रष्टाचार के आरोप में हुआ निलंबित

राजस्थान के एन्टी करप्शन ब्यूरो की टीम ने एक रजिस्टर बराबद किया है जिसमें कथित रूप से 27 भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के नाम है। एसीबी का दावा है कि निलंबित आईपीएस अधिकारी मनीष अग्रवाल इन...

राजस्थान का IPS अधिकारी 27 पुलिसवालों से ऐंठता था पैसे, भ्रष्टाचार के आरोप में हुआ निलंबित
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीSat, 06 Feb 2021 01:23 PM
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राजस्थान के एन्टी करप्शन ब्यूरो की टीम ने एक रजिस्टर बराबद किया है जिसमें कथित रूप से 27 भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के नाम है। एसीबी का दावा है कि निलंबित आईपीएस अधिकारी मनीष अग्रवाल इन पुलिसकर्मियों का फायदा उठाकर इनसे पैसे लेता था। आईपीएस अधिकारी पुलिस वाले पर चल रही भ्रष्टाचार की शिकायतों का इस्तेमाल उनसे पैसै ऐंठने के लिए करता था।

ब्यूरो ने निलंबित और जेल में बंद आईपीएस अधिकारी मनीष अग्रवाल के कब्जे से ये रजिस्टर बरामद करने का दावा किया है। ब्यूरो के अधिकारियों का कहना है कि रजिस्टर की देखरेख अग्रवाल के नीचे काम करने वाला कोई व्यक्ति करता था।

 

हिंदुस्तान टाइम्स ने जो रजिस्टर देखा है उसके अनुसार, अग्रवाल के नीचे काम करने वाले व्यक्ति ने कहा, "जय हिंद सर, हमें इन सभी पुलिसकर्मियों को अलग से बुलाना चाहिए। अगर आप अपने लेवल पर इनसे बात करते हो तो ये जरूर बोलेंगे। किसी के पास कोई आधार नहीं है। अगर इन्हें डराया जाता है तो ये सच बोल देंगे।

घटनाक्रम से परिचित एसीबी के एक अधिकारी ने कहा कि ये नोट अग्रवाल के नीचे काम करने वालों में से एक ने 16 अक्टूबर, 2019 और 5 जुलाई, 2020 के बीच पुलिस अधीक्षक (एसपी), जीआरपी (सरकारी रेलवे पुलिस) के रूप में अपनी पोस्टिंग के दौरान जमा किए थे। 10 से अधिक पुलिस जिले उसके अधिकार क्षेत्र में थे।

एसीबी के एक अधिकारी ने कहा, "27 पुलिसकर्मियों में कांस्टेबल से लेकर अलवर, जयपुर, भरतपुर, अजमेर, कोटा, अबू रोड, गंगापुर सिटी, हिंदौन चौकी, बांदीकुई और झालावाड़ में तैनात पुलिसकर्मी शामिल हैं।"

उन्होंने कहा कि ये नोट 27 पुलिसकर्मियों के विशिष्ट विवरण और अलग-अलग मामलों में लोगों से प्राप्त पैसे की तरफ इशारा करते हैं। एसीबी को संदेह है कि विवरण उस पुलिसकर्मी द्वारा दर्ज किए गए थे जो या तो पूर्व एसपी कार्यालय के खुफिया या सतर्कता विंग में तैनात था।

एसीबी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अग्रवाल इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज शिकायतों का इस्तेमाल इनसे पैसा निकलवाने के लिए करता था हालांकि अभी इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि उसने उनसे कितना पैसा निकाला। 

एसीबी के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि दौसा के कुछ स्टेशन हाउस अधिकारियों सहित लगभग आधा दर्जन पुलिसकर्मियों ने भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो से संपर्क किया है और बताया है कि कैसे उन्हें एसपी दौसा के रूप में अग्रवाल द्वारा चलाए जा रहे जबरन वसूली रैकेट में भाग लेने के लिए मजबूर किया गया था।

एक दूसरे एसीबी अधिकारी ने कहा, “इन पुलिसकर्मियों ने हमें बताया कि आरोपी आईपीएस, जिन्हें एसपी दौसा के रूप में तैनात किया गया था, उन्हें पैसे निकालने के लिए दैनिक लक्ष्य दिया करते थे। हम उनके बयान भी दर्ज कर रहे हैं।"

अग्रवाल को जयपुर की एक स्थानीय अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अग्रवाल के वकील ने उन पर लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा, “न तो मेरे मुवक्किल को रिश्वत लेते पकड़ा गया और न ही एजेंसी के पास यह साबित करने के लिए कोई सबूत है कि उसने रिश्वत की मांग की है। तथाकथित बिचौलिया नीरज मीणा डकैती के तीन मामलों के सिलसिले में लॉकडाउन के दौरान उनसे मिलते थे"

अग्रवाल, जिन्होंने पिछले महीने जयपुर में राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के कमांडेंट के रूप में कार्यभार संभाला था, उनको मंगलवार को उनके कार्यालय से गिरफ्तार किया गया।

इससे पहले 14 जनवरी को मजिस्ट्रेट (एसडीएम) पिंकी मीणा (बांदीकुई) और पुष्कर मित्तल (दौसा) और एक नीरज मीणा को गिरफ्तार किया गया था। जांच के दौरान, यह पाया गया कि IPS अधिकारी कथित रूप से एक सड़क निर्माण ठेकेदार से पैसा निकालने के लिए एसडीएम के साथ मिलकर काम करने में शामिल थे। कुछ आरोपी अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बाद रैकेट को बंद कर दिया गया था।


 

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