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कोचिंग संस्थानों की मनमानी होगी बंद,गहलोत सरकार ला रही है विधेयक; जानें प्रावधान

स्टूडेंट्स के बढ़ते सुसाइड के मामलों के मद्देनजर राजस्थान में गहलोत सरकार ने कोचिंग संस्थानों पर नकेस कसने की तैयारी कर ली है। गहलोत सरकार मौजूदा विधानसभा के बजट सत्र में विधेयक लाएगी।

कोचिंग संस्थानों की मनमानी होगी बंद,गहलोत सरकार ला रही है विधेयक; जानें प्रावधान
Prem Meenaलाइव हिंदुस्तान,जयपुरFri, 27 Jan 2023 05:46 PM
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स्टूडेंट्स के बढ़ते सुसाइड के मामले के मद्देनजर राजस्थान में गहलोत सरकार ने कोचिंग संस्थानों पर नकेस कसने की तैयारी कर ली है। सरकार मौजूदा विधानसभा के बजट सत्र में विधेयक लाएगी। विधेयक पर चर्चा के लिए शिक्षामंत्री बीडी कल्ला ने आज शिक्षा संकुल में कोचिंग संस्थानों से जुड़े लोगों के साथ बैठक की है। बता दें, राज्य सरकार ने कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण के लिए राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट्स (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल-2023 लाने जा रही है। प्रस्तावित विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार मौजूदा विधानसभा के बजट सत्र में पेश करेगी। अगर विधानसभा में यह विधेयक पारित हो जाता है तो कोचिंग संस्थानों की मनमानी को बंद करने के लिए कानून बन जाएगा। प्रस्तावित विधेयक के अनुसार पहली बार नियम तोड़ने पर 25 हजार रुपए जुर्माना, दूसरी गलती पर 1 लाख का जुर्माना और तीसरी गलती पर कोचिंग का रजिस्ट्रेशन रद्‌द कर दिया जाएगा। 

कोचिंग संस्थान अब मनमानी नहीं कर सकेंगे

प्रस्तावित विधेयक के अनुसार कोई भी कोचिंग शुरू करना चाहेगा तो पहले उसे सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी।अगर घर पर भी ट्यूशन सेंटर है और 50 से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं, तो सरकार के पास रजिस्ट्रेशन कराकर अनुमति लेनी होगी। कोचिंग को बताना होगा कि क्या सिलेबस पढ़ाएंगे, कितने टाइम में सिलेबस कवर हो जाएगा और प्रत्येक बैच में अधिकतम कितने स्टूडेंट्स होंगे।सरकारी टीचर कोचिंग में नहीं पढ़ा सकेंगे।प्रोस्पेक्टस में कोचिंग को हर कोर्स की फीस बतानी होगी।ये बिल मंजूर होने के बाद कोई भी कोचिंग संस्थान बिना सरकार की अनुमति के शुरू नहीं किया जा सकेगा। वर्तमान में चल रहे सभी कोचिंग संस्थानों को भी कानून लागू होने के तीन माह के भीतर रजिस्ट्रेशन करवाकर सर्टिफिकेट लेना होगा। ऑनलाइन कोचिंग के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। 50 स्टूडेंट वाले होम ट्यूशन सेंटर भी इसके दायरे में आएंगे। उनके लिए भी रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा।अगर किसी कोचिंग संस्थान की एक से ज्यादा ब्रांच होगी तो उसे प्रत्येक ब्रांच का अलग-अलग रजिस्ट्रेशन कराना होगा। संस्थान को यह बताना होगा कि उसके यहां क्या सिलेबस पढ़ाया जाएगा? यह भी बताना होगा कि प्रत्येक सिलेबस में अधिकतम कितने स्टूडेंट्स होंगे और कौनसा सिलेबस कितनी अवधि में पूरा कराया जाएगा। कोई भी कोचिंग संस्थान रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में बताई गई जगह से दूसरी जगह कोचिंग को बिना सरकार की लिखित अनुमति शिफ्ट नहीं कर सकेगा।

जिला प्राधिकरण का गठन होगा

प्रस्ताविक विधेयक के अनुसार सभी जिलों में डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी का गठन होगा। जो भी व्यक्ति, सोसायटी या कंपनी कोचिंग संस्थान चलाना चाहता है, उसे निर्धारित फार्मेट में दस हजार रुपए रजिस्ट्रेशन फीस के साथ डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के यहां आवेदन करना होगा। यदि कोचिंग सेंटर सभी शर्तों को पूरा करेगा तो आवेदन के 30 दिन के अंदर डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी उसे सर्टिफिकेट जारी कर देगी। विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि कोचिंग संस्थानों का इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐसा हो ताकि प्रत्येक छात्र के लिए न्यूनतम एक वर्ग मीटर क्षेत्र अनिवार्य रूप से उपलब्ध हो सके। छात्रों के लिए प्रत्येक कोचिंग संस्थान द्वारा पर्याप्त फर्नीचर (बेंच/डेस्क), पर्याप्त रोशनी, पीने का पानी,टाॅयलेट, साफ-सफाई की सुविधा,अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था, तनाव प्रबंधन, परामर्शदाताओं की व्यवस्था जरूरी होगी।एक बार कोचिंग में एडमिशन लेने के बाद अगर कोई स्टूडेंट वहां से निकलना चाहे तो फीस वापसी की स्पष्ट नीति जरूरी होगी। कोचिंग संस्थान को ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि स्टूडेंट्स और उनके परिजनों की शिकायत का तत्काल हल हो सके। कोचिंग में चिकित्सा सहायता और उपचार की सुविधा भी उपलब्ध करानी होगी। कैंटीन की सुविधा और वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा अनिवार्य होगी।

30 दिन में शिकायतों का करना होगा निस्तारण 

कोई भी स्टूडेंट या पेरेंट्स अगर कोचिंग संस्थान के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के पास शिकायत करेगा तो उसका 30 दिन के अंदर निस्तारण करना होगा। इसी तरह कोई कोचिंग इंस्टीट्यूट भी किसी स्टूडेंट या पेरेंट्स के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के पास शिकायत करेगा तो उसका निस्तारण भी 30 दिन के भीतर करना होगा।शिकायतों की जांच या तो खुद डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी करेगी या इसके लिए वह जांच कमेटी भी बना सकेगी। जांच कमेटी एडीएम की अध्यक्षता में होगी, जिसमें पुलिस उपाधीक्षक और माध्यमिक शिक्षा का जिला शिक्षा अधिकारी सदस्य होंगे। सरकारी पीजी कॉलेज का प्रिंसिपल इसका मेंबर सेक्रेटरी होगा।दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देने के बाद यह जांच कमेटी पेनल्टी, रजिस्ट्रेशन रद्द करने जैसी सिफारिश के साथ अपनी रिपोर्ट डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के चेयरमैन को सौंपेगी।डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के फैसले से असंतुष्ट होने पर कोचिंग संस्थान, स्टूडेंट या पेरेंट्स राज्य सरकार की अपीलेट अथॉरिटी में अपील कर सकेंगे। 

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