गुजरात और राजस्थान में लंपी स्किन वायरस का कहर, अब तक 5000 से ज्यादा पशुओं की मौत, अनौपचारिक आंकड़े और भी भयावह
राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि यह बीमारी कई जिलों में फैल गई है। खासकर पश्चिमी राजस्थान जैसे जैसलमेर, बाड़मेर, नागौर, हनुमानगढ़, श्री गंगानगर, अजमेर, कोटा, पाली, सिर

पश्चिमी भारत के दो राज्यों राजस्थान और गुजरात में इस साल मई से अब तक त्वचा रोग से करीब 4,565 मवेशियों की मौत हो चुकी है। इस बात की जानकारी दोनों राज्यों के अधिकारियों ने दी। हालांकि, मौतों का अनौपचारिक अनुमान इससे भी ज्यादा है। राजस्थान सरकार के अनुसार, 33 में से नौ जिलों में बीमारी के कारण 3,000 से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है और राज्य सरकार ने महामारी को नियंत्रित करने के लिए चिकित्सा टीमों को भेजा है। साथ ही दवाई के लिए आपातकालीन धन भी आवंटित किया है।
विकास से परिचित पशुपालन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वायरल बीमारी के कारण 3000 से अधिक मवेशियों की मौत हो गई है और लगभग 50,000 संक्रमित हैं। वायरल संक्रमण राज्य के नौ जिलों में फैल गया है। ज्यादातर जिले गुजरात से सटे हुए हैं।
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मंगलवार को कच्छ क्षेत्र का दौरा किया। जहां पिछले कुछ महीनों में त्वचा रोग के कारण 1,565 मवेशियों की मौत हो गई है। हालांकि, कांग्रेस ने दावा किया है कि सबसे बुरी तरह प्रभावित कच्छ क्षेत्र के कुछ तालुकों में करीब 20,000 से 25,000 मवेशियों की मौत हुई है।
गुजरात कांग्रेस के किसान विंग के सदस्य पाला अंबालिया ने कहा, 'मुंद्रा और मांडवी तालुका में मरने वालों की संख्या जो सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यहां की स्थिति बहुत गंभीर है। हर दिन गाय और भैंस के शवों के ढेर को देखा जा रहा है।
गौ गोपाल समिति नामक एक संगठन चलाने वाले कच्छ के मुंद्रा निवासी नारन गढ़वी ने कहा, 'कच्छ के 969 गांवों में केवल 14 पशु चिकित्सक थे। प्रागपार में 1,200 मौतें हुई हैं, भुजपुर में 800 गाय-भैंस की मौत हुई है, बिडाडा में करीब एक हजार मौतें हुई हैं जबकि तलवना में 800 मौतें हुई हैं। ये कच्छ के कुछ गांव हैं और कई और भी हैं। हमारे अनुमान के मुताबिक कच्छ में एलएसडी के कारण कम से कम 30,000 गायों की मौत हुई है।'
गुजरात सरकार ने एक मीडिया बयान में कहा कि यह बीमारी 20 जिलों के 2,083 गांवों में फैल गई है और करीब 55,950 जानवर इस बीमारी से संक्रमित हुए हैं जो मवेशियों में खून पीने वाले कीड़ों से फैलती है। गुजरात में इसका प्रकोप पहली बार मई के महीने में सामने आया जब जामनगर, देवभूमि द्वारका और कच्छ जिलों में कुछ मौतें हुईं।
जबकि राजस्थान में बाड़मेर, जालोर, जोधपुर, बीकानेर, पाली, गंगानगर, नागौर, सिओढ़ी और जैसलमेर प्रभावित नौ जिले हैं। उन्होंने कहा, 'बीमारी का कोई टीकाकरण नहीं है और लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। जैसलमेर में संक्रमण के मामले सबसे पहले मई में सामने आए थे, जो नियंत्रण में आ गया है। वर्तमान में बाड़मेर, जालोर, जोधपुर और बीकानेर से अधिकांश मामले सामने आए हैं।
वायरल रोग रक्त चूसने वाले कीड़ों, मक्खियों की कुछ प्रजातियों और दूषित भोजन और पानी के माध्यम से फैलता है। इस रोग के कारण तीव्र ज्वर, आंख और नाक से स्राव, लार आना, पूरे शरीर में नरम छाले जैसी गांठें, दूध उत्पादन में उल्लेखनीय कमी, खाने में कठिनाई और कभी-कभी पशु की मृत्यु भी हो जाती है। इस संक्रमण से मृत्यु दर 1.5% है।
राजस्थान सरकार के अधिकारी ने कहा कि हालांकि इस बीमारी के लिए कोई टीकाकरण नहीं है, लेकिन बकरी पॉक्स के टीके के साथ प्रयोग किए जाते हैं, जिसके कुछ परिणाम सामने आए हैं लेकिन फिर भी यह निर्धारित नहीं है। संक्रमित गायों का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। राजस्थान में गाय की आबादी लगभग 1.4 करोड़ है।
पशुपालन विभाग के सचिव पीसी किशन ने बताया कि इस बीमारी का प्रकोप जोधपुर संभाग के पशुओं में ज्यादा है। हालांकि मृत्यु दर ज्यादा नहीं है और 1.5 फीसदी है। उन्होंने कहा कि प्रभावित जिलों को एक-एक लाख रुपये और पॉली क्लीनिकों को 50,000 रुपये आपातकालीन आवश्यक दवाएं खरीदने के लिए पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य के चिकित्सा दल और पड़ोसी जिलों से टीमों को प्रभावित जिलों में भेजा जा रहा है।
राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि यह बीमारी कई जिलों में फैल गई है। खासकर पश्चिमी राजस्थान जैसे जैसलमेर, बाड़मेर, नागौर, हनुमानगढ़, श्री गंगानगर, अजमेर, कोटा, पाली, सिरोही, जालोर और जोधपुर में। प्रशासन की घोर लापरवाही के कारण 51,000 से अधिक गाय संक्रमित हो चुकी हैं और 4,000 से अधिक की मौत हो चुकी है।
राठौड़ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गहलोत सरकार पशुपालन विभाग इस बीमारी की रोकथाम के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठा रही है। राज्य सरकार ने अभी तक चर्म रोग के लिए कोई एडवाइजरी/रेड अलर्ट/मोबाइल टीम/क्रैश प्रोग्राम भी जारी नहीं किया है। अभी भी सैकड़ों गायें चर्म रोग से मरने के कगार पर हैं, लेकिन गहलोत सरकार गौ माता के नाम पर केवल ओछी राजनीति कर रही है।