राज्यसभा चुनाव: बगावती सुरों से बेचैनी, राजस्थान में ‘अपने’ बढ़ा रहे सत्ताधारी कांग्रेस की टेंशन
बता दें कि तीन कांग्रेसी उम्मीदवारों को राज्यसभा तक पहुंचने के लिए कुल 123 वोटों की जरूरत है। यानी प्रत्येक उम्मीदवार को 41 वोट चाहिए होंगे। विधानसभा में फिलहाल, कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं।
राजस्थान में राज्यसभा चुनाव की गणित काफी दिलचस्प हो गई है। एक तरफ सत्ताधारी कांग्रेस के कुछ विधायक राज्य नेतृत्व के खिलाफ लगातार असंतोष जाहिर कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें वह सम्मान नहीं मिला है, जिसके वे हकदार हैं। वहीं दूसरी तरफ बीटीपी, सीपीएम और एक निर्दलीय विधायक ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व भले 126 वोटों का दावा कर रहा है, लेकिन इस पर अनिश्निचतता के बादल छाए हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस अपने समर्थक विधायकों को एकजुट रखने के लिए पूरा जोर लगाए हुए है और उदयपुर में सभी को जुटाया जा रहा है।
लग्जरी होटल में ठहरे हैं विधायक
बता दें कि तीन कांग्रेसी उम्मीदवारों को राज्यसभा तक पहुंचने के लिए कुल 123 वोटों की जरूरत है। यानी प्रत्येक उम्मीदवार को 41 वोट चाहिए होंगे। विधानसभा में फिलहाल, कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं। वहीं भाजपा के पास 71, सीपीआई के पास 2, आरएलपी के पास 3, बीटीपी के पास 2, आरएलडी के पास 1 विधायक हैं। वहीं निर्दलीय विधायकों की संख्या 13 है। वहीं सूत्रों का दावा है कि बलजीत यादव को छोड़कर सभी निर्दलीय विधायक उदयपुर पहुंच चुके हैं। इन सभी को उसी लग्जरी होटल में ठहराया गया है, जहां हाल ही में चिंतन शिविर संपन्न हुआ था। शुक्रवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता सचिन पायलट अन्य विधायकों और निर्दलीय रमीला खड़िया के साथ उदयपुर पहुंचे। यहां पर फिलहाल कुल 90 विधायक पहुंच चुके हैं।
पार्टी नेताओं का दावा-फुल सपोर्ट
मामले की अंदरूरी जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने बताया कि सीपीएम ने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है। उनके दो विधायक बलवान पूनिया और गिरधारी लाल फिलहाल पार्टी के और निजी कार्यों में बिजी हैं। वहीं बीटीपी के दो विधायकों राजकुमार रोट और रामप्रसाद ने कुछ मुद्दे उठाए थे। फिलहाल इन मुद्दों का निराकरण किया जा रहा है। पार्टी नेता ने दावा किया कि जल्द ही यह सभी होटल में अन्य विधायकों के साथ होंगे। इस बीच कांग्रेस के पांच विधायकों और बसपा विधायक गुरुवार को सरिस्का घूमने के बाद जयपुर में ही रुके हुए हैं। इन लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया है।
परेशानी बढ़ा रहे गुढ़ा
इस बीच राजस्थान के सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने भी कांग्रेस के परेशानी बढ़ाई है। गुढ़ा उन छह विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने 2018 में बसपा के चुनाव चिन्ह पर जीत हासिल की थी और 2019 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। गुढ़ा ने शुक्रवार को कहाकि इन छह विधायकों को कांग्रेस में वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वो हकदार थे। गुढ़ा और बाकी पांच विधायक भी अभी उदयपुर के होटल में नहीं पहुंचे हैं। वहीं मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा सरकार बचाने के लिए बार-बार बसपा विधायकों को श्रेय दिए जाने पर भी गुढ़ा ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहाकि गहलोत बोलते तो हैं, लेकिन अच्छा होता कि वह हमारे साथ बैठे भी होते। राजेंद्र गुढ़ा ने ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव और राजस्थान प्रभारी अजय माकन पर भी निशाना साधा। गुढ़ा ने कहाकि उन्होंने कुछ वादे किए थे, लेकिन उन्हें पूरा करने में नाकाम रहे। उन्होंने कहा कि राजनीति में वादे जरूर पूरे किए जाने चाहिए।
उदयपुर जाने पर यह बोले
गुढ़ा ने कहाकि उदयपुर घूमने के लिए अच्छा शहर है, लेकिन वहां जाकर होटल में बंद होने के लिए ठीक नहीं है। बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए एक अन्य विधायक वाजिज अली ने भी ब्यूरोक्रेसी पर निशाना साधा और कहाकि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि उनके पास कुछ खास नहीं है। लेकिन ब्यूरोक्रसी की कमियों के चलते बहुत सी लोककल्याणकारी योजनाएं ढंग से लागू नहीं हो पा रही हैं। वाजिज अली ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट और अवैध खनन को लेकर कई शिकायतें थीं। मैंने खुद इनको लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। लेकिन पता नहीं क्या हो रहा है। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह उदयपुर जाकर अन्य विधायकों के साथ रहेंगे तो वाजिज अली ने कहाकि अगर जरूरत पड़ी तो जाएंगे। उन्होंने आगे कहाकि वोटिंग 10 जून को होने वाली है। हमें अपना वोट डालना ही है। हमारा जहां मन होगा वोट डालेंगे।