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बहुमत परीक्षण में महत्वपूर्ण हो सकता है विधानसभा अध्यक्ष का वोट, जानें क्या है राजस्थान में गणित

राजस्थान में चल रहे सियासी उठापटक के बीच जल्द ही विधनसभा में बहुमत परीक्षण हो सकता है। माना जा रहा है कि अशोक गहलोत के पास बहुमत का आंकड़ा है, ऐसी स्थिति में वे खुद ही बहुमत सिद्ध करने के लिए सत्र को...

बहुमत परीक्षण में महत्वपूर्ण हो सकता है विधानसभा अध्यक्ष का वोट, जानें क्या है राजस्थान में गणित
The Pebble,जयपुर।Wed, 29 Jul 2020 01:12 PM
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राजस्थान में चल रहे सियासी उठापटक के बीच जल्द ही विधनसभा में बहुमत परीक्षण हो सकता है। माना जा रहा है कि अशोक गहलोत के पास बहुमत का आंकड़ा है, ऐसी स्थिति में वे खुद ही बहुमत सिद्ध करने के लिए सत्र को बुलाने की तैयारी में है। यदि विधानसभा में बहुमत साबित होगा तो इस बार विधानसभा अध्यक्ष का मत निर्णायक हो सकता है।

आइए समझते हैं कि राजस्थान विधानसभा में आंकड़ों का गणित किस तरह हो सकता है:

-विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी तब ही वोट डालेंगे, जब दोनों खेमों के वोट बराबर होंगे। इसका मतलब है कि यदि दोनों खेमों के वोट बराबर हुए तो निर्णय की स्थिति में विधानसभा अध्यक्ष का वोट अहम होगा और यह स्वाभाविक बात है कि सीपी जोशी कांग्रेस को ही वोट देंगे। माना जा रहा है कि मास्टर भंवरलाल मेघवाल बीमार होने के कारण सदन नहीं पहुंच पाएंगे।

-ऐसे में कांग्रेस के पास खुद के 105 वोट होंगे और यदि पायलट खेमे के सभी 19 विधायकों ने कांग्रेस पार्टी को वोट नहीं डाला तो कांग्रेस के पास 86 वोट होंगे। इसमें सीपी जोशी और भंवर लाल मेघवाल का वोट शामिल नहीं है।

-वहीं, कांग्रेस पार्टी के पास 10 निर्दलीयों का समर्थन होगा, ऐसे में 96 वोट होंगे। भारतीय ट्राइबल पार्टी यानी बीटीपी के दो, माकपा का एक विधायक कांग्रेस के साथ है तो 99 वोट कांग्रेस के पाले में होंगे। वहीं, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का एक विधायक पार्टी के कहे अनुसार तटस्थ रह सकता है। भले कांग्रेस उनके समर्थन का दावा कर रही है।

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-राष्ट्रीय लोक दल के एक विधायक सुभाष गर्ग भी कांग्रेस के पास है। ऐसे में कांग्रेस के मतों की संख्या 100 हो जाती है।

-इधर, भाजपा के पास आरएलपी के तीन विधायक मिलाकर 75 वोट हैं और यदि पायलट खेमे ने भाजपा का रुख किया तो 19 और जुड़ जाएंगे। पायलट खेमे के तीन निर्दलीय विधायकों ने भी साथ दिया तो सरकार के खिलाफ यह आंकड़ा 97 तक पहुंचाएगा।

-फिलहाल माकपा के एक विधायक के बारे में स्थिति साफ नहीं है, क्योंकि माकपा विधायक गिरधारी लाल ने राज्यसभा चुनाव में भी हिस्सा नहीं लिया था और पार्टी निर्देश के अनुसार वे तटस्थ रहे थे।

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