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टूटा विश्व की सबसे बड़ी घंटी लगाने का सपना, 35 फीट की ऊंचाई से गिर मजदूर-इंजीनियर की मौत

79 हजार किलोग्राम वजन की इस घंटी को 13 धातुओं को पिघलाकर तैयार किया गया है। जिसके ठोस होने के बाद इसको लगाया जाना था। इन धातुओं के 3 हजार डिग्री के तापमान पर पिघलाया गया था। हादसे के बाद चुनौती बढ़ गई

टूटा विश्व की सबसे बड़ी घंटी लगाने का सपना, 35 फीट की ऊंचाई से गिर मजदूर-इंजीनियर की मौत
Nishant Nandanलाइव हिन्दुस्तान,कोटाSun, 19 Nov 2023 06:30 PM
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विश्व की सबसे बडी घंटी को चंबल रिवर फ्रंट पर मॉडल बॉक्स से निकालने के बाद बडा हादसा हो गया। मॉडल बॉक्स पर चढे कांस्टिंग इंजीनियर देवेन्द्र आर्य और उनके साथी मजदूर की 35 फीट ऊंचाई से गिरने से मौत हो गई। हादसे की सूचना के बाद अधिकारी मौके पर पहुंचे और घटना की जानकारी ली। वहीं पुलिस ने दोनो शवो को मोर्चेरी में रखवा दिया है। साथ ही मौके पर मौजूद अन्य मजदूरों से हादसा की जानकारी ली जा रही है। सीआई महेन्द्र मीणा ने बताया कि मौके पर मौजूद इंजीनियर देवेन्द्र आर्य और अन्य मजदूरों द्वारा मॉडल बॉक्स से हाइड्रोलिक क्रेन की मदद से घंटी को बाहर निकालने का काम किया जा रहा था। इसी दौरान सबसे ऊपर वाला गार्डर हाइड्रोलिक क्रेन से टच होते ही खिसक गया और गार्डर के तीन टुकड़े हो गए। इसी दौरान इंजीनियर देवन्द्र और मजदूर छोटू का संतुलन बिगड गया और दोनों 35 फीट की ऊंचाई से नीचे गिर गए। गंभीर चोट लगने की वजह से दोनो की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि इसी महीने घंटी को सांचे से बाहर निकालना था।

विवाद के बीच देवेन्द्र ने छोड़ दिया था काम

आपको बता दे कि घंटी को सांचे से बाहर निकालने के दौरान देवेन्द्र का अधिकारियों से विवाद हो गया था। जिसके बाद देवेन्द्र ने काम को बीच में छोड दिया था। 80 दिनों तक यूआईटी और ठेकेदारो ने घंटी को बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो पाए। इसलिए एक बार फिर देवेन्द्र आर्य को 3 अक्टूबर को बुलाया गया था। देवेन्द्र ने घंटी को बाहर निकालने का काम शुरू कर दिया। करीब 79 किलो वजन की घंटी की ढलाई देवेन्द्र ने रिवर फ्रंट पर अस्थाई फैक्ट्री लगाकर की थी। विवाद के दौरान देवेन्द्र ने दावा किया था कि घंटी की ढलाई के दैरान जिन कैमिकल का इस्तेमाल किया गया था उनमें रिएक्शन करवाने के बाद ही घंटी को निकाला जा सकता है।

घंटी लगने के बाद 8 किमी दूर तक सुनाई देती आवाज

कोटा चंबल रिवर फ्रंट पर जिस समय से घंटी लगाने की कवायद शुरू हुई थी उसी समय से ये कयास लगाए जा रहे की ये घंटी कई रिकॉर्ड तोड़ेगी और घंटी की आवाज 8 किलोमीटर दूर तक सुनाई देगी। 79 हजार किलोग्राम वजन की इस घंटी को 13 धातुओं को पिघलाकर तैयार किया गया है। जिसके ठोस होने के बाद इसको लगाया जाना था। इन धातुओं के 3 हजार डिग्री के तापमान पर पिघलाया गया था। हालांकी, इस हादसे के बाद अब इस घंटी को बाहर निकालना और लगाना यूआईटी के लिए चुनौती बन चुका है। इसी के साथ ही फिलहाल विश्व की सबसे बड़ी घंटी को लगाने का सपना टूट चुका है।

रिपोर्ट : योगेन्द्र महावर

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