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लोग सीएम बनने की बात करते थे, आज धरती पर लौट गया; पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने क्यों कही ये बात

संक्षेप: बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ़ कस्बे में राजपूत समाज के प्रतिभा सम्मान समारोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने बेबाक अंदाज में अपनी बात रखी।

Tue, 16 Sep 2025 04:07 PMSachin Sharma लाइव हिन्दुस्तान, जयपुर
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लोग सीएम बनने की बात करते थे, आज धरती पर लौट गया; पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने क्यों कही ये बात

बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ़ कस्बे में राजपूत समाज के प्रतिभा सम्मान समारोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने बेबाक अंदाज में अपनी बात रखी। मंच से बोलते हुए राठौड़ ने आत्ममंथन के साथ समाज को संदेश दिया। उन्होंने कहा- “मेरे बारे में भी बहुत से लोग कहते हैं कि बहुत ऊंचाइयों पर था। प्रतिपक्ष का नेता था, मुख्यमंत्री बनने की बात होती थी, लेकिन आज मैं धरती पर लौट आया हूं। मैं मानता हूं कि एक व्यक्ति को बनने में वर्षों लगते हैं और मिटने में समय नहीं लगता।”

राठौड़ ने कहा कि हमारे समाज की सबसे बड़ी कमी यही है कि हम अपने ही लोगों की कमियां निकालने लग जाते हैं। जो शिखर पर पहुंचता है, उसके लिए सहानुभूति रखने के बजाय उपहास किया जाता है। यही वजह है कि ऊंचाइयों पर पहुंचे लोग अक्सर मंजिल से पहले ढह जाते हैं। उन्होंने कहा कि समाज को अपने लोगों का मजाक उड़ाने के बजाय उन्हें आगे बढ़ाने की संस्कृति अपनानी चाहिए।

वरिष्ठ नेता ने कहा- “लोकतंत्र तभी सफल होगा, जब हम सब मिलकर काम करेंगे।” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले शादियों में बैंड बजते थे, जिनमें अलग-अलग वाद्य यंत्र होते थे। सबकी आवाज मिलकर कर्णप्रिय लगती थी। उसी तरह पंचमेल की सब्जी में भी पांच तरह की सब्जियां होती हैं, तभी उसका स्वाद आता है। अगर समाज में हर वर्ग साथ चले तो लोकतंत्र और मजबूत होगा।

राठौड़ ने पैतृक भूमि और गांवों से दूरी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के वंशज होने का हमें गर्व है। लेकिन आज सोशल मीडिया के जमाने में रिश्ते कमजोर हो रहे हैं और संयुक्त परिवार टूट रहे हैं। जिस धरती के लिए महाराणा प्रताप ने कष्ट सहे और राणा सांगा ने युद्ध लड़ा, आज हम उसी पैतृक भूमि को बेच रहे हैं। उन्होंने कहा- “कल जब हमारी अगली पीढ़ी ऊंचे पदों पर पहुंचेगी, तो लोग पूछेंगे कि किस गांव से हो। तब उन्हें बताना पड़ेगा कि वहां तो सिर्फ हमारे दादोसा रहते थे।”

समारोह में राठौड़ को समाज की ओर से एक तलवार भेंट की गई। इस मौके पर उन्होंने कहा- “निश्चित तौर पर तलवार शौर्य का प्रतीक है, लेकिन अब कलम का जमाना है। अब तलवार और भाला उठाने का समय नहीं है। शासन अब सर कटाकर नहीं मिलता। न तलवार उठानी है, न भाला, न सर कटवाना है। अब सर गिनवाने की हिम्मत होनी चाहिए।”

Sachin Sharma

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