
राजस्थान: भूजल,भू-राजस्व पर सख्त कानून; बिना अनुमति बोरवेल पर 50 हजार जुर्माना, दोहराने पर जेल
संक्षेप: राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र का आखिरी दिन ऐतिहासिक रहा। विपक्ष की गैरमौजूदगी में सत्तापक्ष ने दो अहम विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिए।
राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र का आखिरी दिन ऐतिहासिक रहा। विपक्ष की गैरमौजूदगी में सत्तापक्ष ने दो अहम विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिए। इनमें पहला है राजस्थान भूजल संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण विधेयक 2025 और दूसरा राजस्थान भू-राजस्व (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक 2025। इन विधेयकों के लागू होने के बाद भूजल दोहन और भूमि विवाद से जुड़े मामलों में अब कड़े नियम और सख्त दंड लागू होंगे।

राज्य लंबे समय से जल संकट से जूझ रहा है। यही वजह है कि भूजल प्रबंधन विधेयक को बेहद अहम माना जा रहा है। नए प्रावधानों के तहत अब कोई भी व्यक्ति या संस्था बिना अनुमति बोरिंग, ड्रिलिंग या जल निकासी नहीं कर सकेगी। इसका मतलब है कि बोरवेल या ट्यूबवेल बनाने के लिए सरकार से अनुज्ञा लेना अनिवार्य होगा।
यदि कोई बिना अनुमति बोरवेल करता है तो पहली बार में 50 हजार रुपये तक का जुर्माना देना होगा। बार-बार उल्लंघन करने पर छह माह की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। यह प्रावधान राज्य में अनियंत्रित भूजल दोहन पर रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम है।
भूजल संरक्षण और प्रबंधन के लिए राज्य स्तरीय प्राधिकरण बनाया जाएगा। इसके साथ ही हर जिले में अलग समिति गठित होगी, जो स्थानीय परिस्थिति के अनुसार योजनाएं तैयार करेगी। इन योजनाओं का मकसद भूजल स्तर बनाए रखना, पुनर्भरण बढ़ाना और जल संरक्षण को मजबूत करना होगा।
इन समितियों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और जल प्रबंधन क्षेत्र के कम से कम 20 साल अनुभव वाले विशेषज्ञ शामिल किए जाएंगे। यही विशेषज्ञ भूजल दोहन की दर तय करेंगे और सरकार को सिफारिशें देंगे।
नया प्राधिकरण भूजल उपयोग के लिए टैरिफ तय करने का अधिकार रखेगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पानी का इस्तेमाल संतुलित ढंग से हो और इसका संरक्षण भी हो सके। साथ ही, यह प्राधिकरण सरकार को जल प्रबंधन से जुड़े मामलों में सिफारिशें देने के लिए भी सक्षम होगा।
सदन में जैसे ही जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने भूजल विधेयक पेश किया, विपक्ष ने सरकार पर जनता की आवाज दबाने का आरोप लगाया। कांग्रेस सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए सदन से वॉक आउट कर दिया। इसके बाद सत्ता पक्ष और कुछ निर्दलीय विधायकों की मौजूदगी में दोनों विधेयक तालियों की गूंज के बीच पारित हुए।
विधेयक पेश करते हुए मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने कहा कि “जल जीवन का मूल आधार है और राजस्थान जैसे सूखे प्रदेश में इसका संरक्षण सबसे बड़ी चुनौती है। इस प्राधिकरण के माध्यम से भूजल संरक्षण, संवर्धन और उचित प्रबंधन सुनिश्चित किया जाएगा।”
सत्र के दौरान दूसरा बड़ा कानून राजस्थान भू-राजस्व (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक 2025 भी पारित किया गया। भूमि विवाद और राजस्व से जुड़े पुराने प्रावधानों में संशोधन कर प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। इसका सीधा फायदा किसानों और आमजन को मिलेगा।
इस विधेयक के तहत भूमि मामलों में राहत की गुंजाइश बढ़ेगी और विवादों के निपटारे में तेजी आएगी। साथ ही, राजस्व रिकॉर्ड्स को डिजिटलाइजेशन की दिशा में आगे बढ़ाया जाएगा, जिससे पारदर्शिता और सुविधा बढ़ेगी।
भूमि विवाद लंबे समय से किसानों के लिए बड़ी समस्या रहे हैं। कई बार कानूनी पेचिदगियों के कारण किसान न्याय पाने में असमर्थ रहते हैं। नए संशोधन कानून से उम्मीद है कि किसानों को राहत मिलेगी और भूमि से जुड़े विवाद जल्दी सुलझेंगे।
इन दोनों विधेयकों का असर आम जनता और छोटे व्यवसायियों पर भी पड़ेगा। भूजल और भूमि से जुड़े नियमों का पालन करना अब अनिवार्य होगा। उल्लंघन की स्थिति में सख्त दंड तय होने से अब पहले से ज्यादा सतर्क रहना पड़ेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान जैसे सूखे प्रदेश में भूजल संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम है। लंबे समय से भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा था। नए प्रावधान लागू होने के बाद अनियंत्रित दोहन पर रोक लगेगी और जल संरक्षण को मजबूती मिलेगी।

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