
राजस्थान: 8 दिन तक लापता रहे 3 दोस्त,टिकट के लिए साइकिल बेची,इंस्टा चैट से की जासूसी
संक्षेप: जयपुर से लापता तीन स्कूली छात्रों की वापसी ने पुलिस और घरवालों दोनों को दंग कर दिया। आठ दिन की गुमशुदगी के बाद जब राज़ खुला, तो कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं लगी।
जयपुर से लापता तीन स्कूली छात्रों की वापसी ने पुलिस और घरवालों दोनों को दंग कर दिया। आठ दिन की गुमशुदगी के बाद जब राज़ खुला, तो कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं लगी। चिट्ठी छोड़कर भागे, फोन को गायब कर दिया, डिजिटल वॉलेट से खर्च चलाए और ऊपर से अपने ही घरवालों की जासूसी भी करते रहे।
14 अगस्त की सुबह सांगानेर सदर निवासी मोहित सिंह (16), नितिन सिंह (14) और उनका चचेरा भाई अरमान (15) स्कूल के नाम पर घर से निकले। लेकिन बैग में किताबों की जगह प्लान छिपा था। जाते-जाते घर में फिल्मी अंदाज़ का लेटर छोड़ गए— “हम 5 साल बाद लौटेंगे।”
चिट्ठी पढ़ते ही घरवालों के होश उड़ गए और पुलिस एक्टिव हो गई।
फिल्मी सीन यहीं खत्म नहीं हुआ। गांधी नगर रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ने के लिए टिकट चाहिए था। तो अरमान ने अपनी साइकिल मात्र 400 रुपए में बेच डाली। इसके बाद ऑनलाइन लोन ऐप से पैसे भी झटके। बच्चों का बजट पूरा और भागने की राह साफ।
तीनों ने टेक्नोलॉजी का भी जबरदस्त इस्तेमाल किया। मोबाइल ज्यादातर एयरप्लेन मोड पर रखते। ज़रूरत पड़ने पर ही चालू करते और तुरंत बंद। यही वजह रही कि पुलिस उनकी लोकेशन ट्रैक नहीं कर सकी।
खर्चों के लिए Fampay Wallet ऐप डाउनलोड कर लिया, जिसमें बिना बैंक अकाउंट के पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं। यानि खर्च भी ऑन ट्रैक।
सबसे बड़ा ट्विस्ट आया जासूसी में। भागने के बाद मोहित ने मोहल्ले के दोस्त से इंस्टाग्राम चैटिंग में पूछा—
“तेरे मम्मी-पापा से पता कर कि हमारे घरवाले हमें कहां ढूंढ रहे हैं।”
इस चैट की भनक दोस्त के परिवार तक पहुंची और वहां से पूरा राज घरवालों तक।
रक्षाबंधन के मौके पर ही तीनों ने भागने की स्क्रिप्ट लिखी थी। इरादा था मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम जाने का। लेकिन गलत ट्रेन पकड़ बैठे और पहुंच गए हरियाणा के रेवाड़ी। वहां एक धर्मशाला में पांच दिन तक टिके रहे।
मोहित और नितिन की बहन गौरी राजावत बोलीं—
“हमें तो बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था। रोज़ की तरह बर्ताव कर रहे थे।”
बुआ शारदा कंवर ने भी कहा—
“घर में पैसे रखे थे, किसी ने चोरी नहीं की। इतनी प्लानिंग अकेले बच्चों के बस की बात नहीं। ज़रूर किसी ने गाइड किया होगा।”
आख़िरकार बच्चों ने खुद ही भरतपुर के डीग से एक परिचित को फोन किया और लोकेशन बता दी—
“हम यहां हैं।”
इसके बाद परिजन पहुंचे और तीनों को लेकर जयपुर लौट आए।
लौटने के बाद पुलिस ने बच्चों को समझाया—घर से भागना खतरनाक है, जान पर बन सकती है। साथ ही माता-पिता को भी कहा कि बच्चों पर सवालों की बौछार न करें, बल्कि उन्हें समझें।

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Sachin Sharmaलेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




