Hindi Newsराजस्थान न्यूज़Ex CM Ashok Gehlot criticizes BJP government move of dissolves 9 districts

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है...; अपने बनाए 9 जिले खत्म होने पर बोले पूर्व सीएम अशोक गहलोत

  • गहलोत ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि जिले की आबादी व क्षेत्र कम होने से शासन-प्रशासन की पहुंच बेहतर होती है, सुविधाओं व योजनाओं की बेहतर डिलीवरी सुनिश्चित हो पाती है। जनता की शिकायतों का समाधान भी जल्दी होता है।'

Sourabh Jain लाइव हिन्दुस्तान, जयपुर, राजस्थानSat, 28 Dec 2024 08:08 PM
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राजस्थान की भजनलाल सरकार ने शनिवार को एक अहम फैसला लेते हुए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में बनाए गए नए जिलों में नौ जिलों को निरस्त कर दिया। जिसके बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार के इस फैसले को अविवेकशीलता, अदूरदर्शिता और केवल राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण बताते हुए इसकी निंदा की है।

उन्होंने कहा कि 'प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लेने में एक साल का समय लगा दिया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस काम को लेकर सरकार के दिलो-दिमाग में कितना कंफ्यूज़न रहा होगा। जबकि बिना सोचे-समझे यही करना था तो इसे तो पहले भी कर सकते थे। मैं नहीं जानता कि उन्होंने यह फैसला क्या सोचकर लिया है लेकिन हमने सुशासन के लिए यह फैसला लिया था, ये मैं कह सकता हूं।'

राज्य सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए गहलोत ने कहा 'हमारी सरकार के दौरान जिलों का पुनर्गठन करने के लिए वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में 21 मार्च 2022 को समिति बनाई गई थी जिसको दर्जनों जिलों के प्रतिवेदन प्राप्त हुए। इन्हीं प्रतिवेदनों का परीक्षण कर समिति ने अपनी रिपोर्ट दी जिसके आधार पर नए जिले बनाने का निर्णय किया गया।'

राजस्थान से छोटा MP, लेकिन वहां 53 जिले

गहलोत ने कहा कि 'मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य बन गया परन्तु प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन उस अनुपात में नहीं हुआ था। राजस्थान से छोटा होने के बाद भी मध्य प्रदेश में 53 जिले हैं। नए जिलों के गठन से पूर्व राजस्थान में हर जिले की औसत आबाादी 35.42 लाख व क्षेत्रफल 12,147 वर्ग किलोमीटर था (हालांकि त्रिपुरा राज्य का क्षेत्रफल 10,492 वर्ग किलोमीटर, गोवा राज्य का क्षेत्रफल 3,702 वर्ग किलोमीटर, दिल्ली केन्द्र शासित प्रदेश का क्षेत्रफल 1,484 वर्ग किलोमीटर है) जबकि नए जिले बनने के बाद जिलों की औसत आबादी 15.35 लाख व क्षेत्रफल 5268 वर्ग किलोमीटर हो गया था।'

उन्होंने कहा, 'जिले की आबादी व क्षेत्र कम होने से शासन-प्रशासन की पहुंच बेहतर होती है एवं सुविधाओं व योजनाओं की बेहतर डिलीवरी सुनिश्चित हो पाती है। छोटी प्रशासनिक इकाई होने पर जनता की प्रतिवेदनाओं का निस्तारण भी शीघ्रता से होता है।'

'जिले का आकार भौगोलिक परिस्थितियों से होता है'

आगे उन्होंने कहा कि 'भाजपा सरकार द्वारा जिन जिलों को छोटा होने का तर्क देकर रद्द किया गया है वो भी अनुचित है। जिले का आकार वहां की भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर होता है। हमारे पड़ोसी राज्यों के जिले जैसे गुजरात के डांग (2 लाख 29 हजार), पोरबंदर (5 लाख 85 हजार) एवं नर्बदा (5 लाख 91 हजार), हरियाणा के पंचकुला (5 लाख 59 हजार) एवं चरखी दादरी (लगभग 5 लाख 1 हजार), पंजाब के मलेरकोटला (लगभग 4 लाख 30 हजार), बरनाला(5 लाख 96 हजार) एवं फतेहगढ़ साहिब (6 लाख) जैसे कम आबादी वाले जिले हैं। कम आबादी वाले जिलों में सरकार की प्लानिंग की सफलता भी ज्यादा होती है। छोटे जिलों में कानून व्यवस्था की स्थिति को बहाल रखना भी आसान होता है क्योंकि वहां पुलिस की पहुंच अधिक होती है।'

'जिलों की आबादी में अंतर होना भी स्वभाविक'

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 'परिस्थितियों के आधार पर जिलों की आबादी में भी अंतर होना स्वभाविक है जैसे उत्तर प्रदेश में प्रयागराज जिले की आबादी करीब 60 लाख है जबकि चित्रकूट जिले की आबादी 10 लाख है। परन्तु सरकार के लिए प्रशासनिक दृष्टि से छोटे जिले ही बेहतर लगते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से एक तर्क यह दिया जा रहा है कि एक जिले में कम से कम तीन विधानसभा क्षेत्र होने चाहिए जबकि भाजपा द्वारा 2007 में बनाए गए प्रतापगढ़ मे परिसीमन के बावजूद भी केवल दो विधानसभा क्षेत्र हैं।'

उन्होंने कहा कि 'सरकार द्वारा जहां कम दूरी का तर्क दिया जा रहा है वो भी आश्चर्यजनक है क्योंकि डीग की भरतपुर से दूरी केवल 38 किमी है जिसे रखा गया है परन्तु सांचौर से जालोर की दूरी 135 किमी एवं अनूपगढ़ से गंगानगर की दूरी 125 किमी होने के बावजूद उन जिलों को रद्द कर दिया गया। हमारी सरकार ने केवल जिलों की घोषणा ही नहीं की बल्कि वहां कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक समेत तमाम जिला स्तरीय अधिकारियों की नियुक्ति दी एवं हर जिले को संसाधनों के लिए बजट भी दिया।'

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी अपनी इस प्रतिक्रिया के अंत में गहलोत ने लिखा, 'हम भाजपा सरकार द्वारा उठाए गए इस अदूरदर्शी एवं राजनीतिक प्रतिशोध के कारण लिए गए निर्णय की निंदा करते हैं।'

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