BJP का आरोप, विधायकों को खुश करने के लिए गहलोत सरकार ने रेवड़ियों की तरह बांटे थे जिले
बीजेपी अध्यक्ष मदन राठौर ने इसे रेवड़ी बांटने से जोड़ते हुए कहा कि गहलोत साहब ने उस दौरान बनाई गई समिति की सलाह को भी दरकिनार किया था।

राजस्थान कैबिनेट ने गहलोत सरकार द्वारा बढ़ाए गए जिलों में से 9 जिलों को निरस्त कर दिया है। इसके बाद से राजनीति उठापटक तेज हो गई है। अब राजस्थान के बीजेपी अध्यक्ष मदन राठौर का बयान सामने आया है। उन्होंने कांग्रेस की सरकार के समय बढ़ाए गए जिलों के पीछे गहलोत सरकार द्वारा अपनी सरकार को गिरने से बचाना बताया है। इसे उन्होंने रेवड़ी बांटने से जोड़ते हुए कहा कि गहलोत साहब ने उस दौरान बनाई गई समिति की सलाह को भी दरकिनार किया था।
समिति के अध्यक्ष भी हुए थे चकित
राजस्थान के भाजपा नेता मदन राठौर ने आरोप लगाते हुए कहा कि गहलोत सरकार ने जिले बनाने से जुड़ी राम लुभाया की अध्यक्षता वाली समिति की राय को दरकिनार करके जैसे रेवड़ियां बांटते हैं, वैसे जिले बांट दिए थे। खुद राम लुभाया जी जब महाराष्ट्र में थे और गहलोत साहब ने नए जिले बनाने की घोषणा कर दी थी, तो वो भी चकित रह गए थे। मदन राठौर ने बताया कि वे इस बात से दुखी हुए थे और उन्होंने कहा था कि जब यह फैसला लेना था, तो समिति बनाने की क्या जरूरत थी।
विधायकों को खुश करने के लिए की थी जिलों की घोषणा
मदन राठौर ने बताया कि गहलोत साहब की सरकार अल्पमत में थी, क्योंकि सचिन पायलट विधायकों की खेमाबंदी करके होटलों में बैठ गए थे और इधर गहलोत साहब भी अपने समर्थित विधायकों को लेकर होटलों में बैठ गए थे। तो उस समय सरकार गिरने की संभावना थी। इसलिए निर्दलीय विधायकों को खुश करने के लिए गहलोत साहब ने उनके जिलों की घोषणा कर दी।
विकेंद्रीकरण अच्छा, लेकिन हुई ये भूल
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि जो भी हुआ वो ठीक नहीं था। अगर जिले बनाते तो जनसंख्या के समान अनुपात के आधार पर बनाते। एक जिला है जिसमें साढ़े तीन लाख की जनसंख्या और वहीं दूसरा जिला है वहां अठारह लाख की पॉपुलेशन है। उन्होंने कहा कि ये गलत है, इसका उन्होंने ध्यान नहीं रखा था। मदन राठौर ने कहा कि जनता का ध्यान रखने के लिए विकेंद्रीकरण होना चाहिए, लेकिन इसमें अनुपात का ध्यान रखना चाहिए। राठौर बोले कि उन्होंने एक-एक विधानसभा के जिले बना दिए थे। वहीं एक में 11 हैं तो किसी में 13 हैं। ये तो ठीक नहीं है। गहलोत साहब से गलती हुई है और हमने उसे सुधारा है।
गहलोत बोले कि एक्शन लेने में क्यों लगा एक साल
बीते दिनों राजस्थान कैबिनेट की बैठक में नवगठित जिलों में से 9 जिले और 3 संभाग खत्म करने का निर्णय लिया गया है। इस मामले में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश सरकार ने ये निर्णय लेने में 1 साल का समय लगा दिया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस काम को लेकर उनके मन में कितना कंफ्यूज़न रहा। गहलोत ने कहा कि अगर तीन संभाग बनाए गए थे तो कुछ सोच-समझकर ही बनाए गए थे।
गहलोत ने छोटे जिलों को बताया जनता के लिए लाभदायक
उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे जिले होने से परिवेदनाओं का निपटारा जल्दी होता, क्योंकि छोटे जिले होने पर प्रशासनिक अधिकारियों को काम का निपटारा जल्द करना पड़ता है। इस तरह से तमाम तरह से छोटे जिले ही जनता के लिए लाभदायक है। गुजरात आबादी के मामले में हमसे (राजस्थान) से कम आबादी वाला प्रदेश है, लेकिन फिर भी वहां 33 जिले हैं। मैं नहीं जानता कि यह फैसला क्या सोच-समझकर लिया गया है, लेकिन हमने सुशासन के लिए यह फैसला लिया था, ये मैं कह सकता हूं।