Hindi Newsपंजाब न्यूज़Navjot Singh Sidhu did not eat food know how was his first night in jail

नवजोत सिंह सिद्धू ने नहीं खाया खाना, जानें कैसी बीती जेल में उनकी पहली रात

जेल के एक अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि सिद्धू ने शुक्रवार को यह कहते हुए रात का खाना छोड़ दिया कि उन्होंने पहले ही अपना खाना खा लिया है। लेकिन उन्होंने कुछ दवा ली।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान, चंडीगढ़।Sat, 21 May 2022 03:37 AM
share Share

पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा सुनाई गई एक साल की कैद के दौरान हर दिन 40 से 60 रुपये के बीच कमाएंगे। यह वही जेल है जहां शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया भी ड्रग मामले में बंद हैं। हालांकि, उनके बैरक अलग हैं।

जेल के एक अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि सिद्धू ने शुक्रवार को यह कहते हुए रात का खाना छोड़ दिया कि उन्होंने पहले ही अपना खाना खा लिया है। लेकिन उन्होंने कुछ दवा ली। अधिकारी ने कहा, “जेल में उनके लिए कोई विशेष भोजन की व्यवस्था नहीं है। यदि कोई डॉक्टर किसी विशेष भोजन की सलाह देते हैं, तो वह जेल की कैंटीन से खरीद सकते हैं या खुद बना सकते हैं।”

चूंकि सिद्धू को कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है, इसलिए उन्हें जेल नियमावली के अनुसार काम करना होगा। हालांकि पहले तीन महीनों के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। जेल नियमावली के अनुसार, एक अकुशल कैदी को प्रतिदिन 40 और एक कुशल कैदी को 60 प्रति दिन मिलते हैं।

शुक्रवार को सिद्धू ने आत्मसमर्पण करने से पहले सुप्रीम कोर्ट से कुछ समय मांगा क्योंकि उन्होंने कहा कि वह अपने चिकित्सा मामलों को व्यवस्थित करना चाहते हैं। शाम 4 बजे के बाद सिद्धू ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित मल्हान की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। उन्हें अनिवार्य चिकित्सा जांच के लिए माता कौशल्या अस्पताल ले जाया गया, जिसके बाद उन्हें उनके निर्धारित बैरक में भेज दिया गया।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सिद्धू के मीडिया सलाहकार सुरिंदर दल्ला का हवाला देते हुए कहा कि सिद्धू एम्बोलिज्म जैसी चिकित्सीय स्थितियों से पीड़ित हैं और उन्हें लीवर की बीमारी है।

रोड रेज का मामला 1988 का है, जब सिद्धू ने गुरनाम सिंह को कथित तौर पर हाथ से पीटा था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। 1999 में सिद्धू और रूपिंदर सिंह संधू को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। इसके बाद पीड़ित परिवारों ने इसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसने 2006 में सिद्धू को दोषी ठहराया था और उन्हें तीन साल कैद की सजा सुनाई थी।

सिद्धू ने उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें 2018 में उन्हें 'स्वेच्छा से चोट पहुंचाने' के अपराध का दोषी ठहराया गया था, लेकिन उन्हें 1,000 के जुर्माने के साथ छोड़ दिया गया। गुरनाम सिंह के परिवार ने फैसले की समीक्षा की मांग की और सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सिद्धू को एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। 

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें