
इस बार पाकिस्तान नहीं जा पाएंगे सिख तीर्थयात्री, पंजाब में मचा बवाल; क्या है सरकार का आदेश?
संक्षेप: यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब भारत-पाकिस्तान एशिया कप मैच खेला गया। धार्मिक और राजनीतिक वर्ग सवाल उठा रहे हैं कि जब खेल संबंध बहाल किए जा सकते हैं, तो श्रद्धालुओं की धार्मिक यात्राओं पर रोक क्यों लगाई जा रही है।
गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव (गुरुपरब) पर पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब जाने वाले सिख श्रद्धालुओं को इस वर्ष केंद्र सरकार की ओर से अनुमति नहीं मिलेगी। गृह मंत्रालय ने 12 सितंबर को एक परामर्श जारी कर पंजाब सहित दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को निर्देश दिया कि नवंबर में श्रद्धालुओं को पाकिस्तान यात्रा की अनुमति न दी जाए। गृह मंत्रालय ने इस कदम के पीछे सुरक्षा कारणों का हवाला दिया है। मंत्रालय ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले और "ऑपरेशन सिंदूर" के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़े तनाव को आधार बताया है।

राजनीतिक और धार्मिक नेताओं का विरोध
गृह मंत्रालय की इस सलाह के बाद पंजाब में सियासी तूफान खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए केंद्र पर "दोहरी नीति" अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “अगर पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेले जा सकते हैं, तो फिर सिख श्रद्धालुओं को करतारपुर साहिब और ननकाना साहिब जाने से क्यों रोका जा रहा है?”
मान ने सवाल उठाया कि सरकार के लिए क्रिकेट और कारोबार प्राथमिकता क्यों है, जबकि आस्था और भक्ति पीछे छूट रही है। उन्होंने कहा, “करतारपुर और ननकाना हमारे लिए आस्था के पवित्र केंद्र हैं, न कि क्रिकेट या व्यापार के मंच। राजनीति और खेल इंतजार कर सकते हैं, लेकिन भक्ति नहीं।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान के साथ खेले जाने वाले मैचों से होने वाली कमाई अंततः आतंक और नशे को बढ़ावा देने में ही इस्तेमाल होगी।
अकाली दल और अन्य दलों की प्रतिक्रिया
वहीं, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने गृह मंत्री अमित शाह से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “सिख श्रद्धालु श्री ननकाना साहिब पर माथा टेकने को उत्सुक हैं। उन्हें इस पावन अवसर पर रोकना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना होगा। जब भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंध बहाल हो चुके हैं, तो करतारपुर कॉरिडोर को भी श्रद्धालुओं के लिए खोलने पर विचार होना चाहिए।” पंजाब के अन्य विपक्षी दलों और सिख धार्मिक नेताओं ने भी केंद्र सरकार के इस कदम की निंदा की है और इसे श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया है।
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब 14 सितंबर को भारत-पाकिस्तान एशिया कप मैच खेला गया। धार्मिक और राजनीतिक वर्ग सवाल उठा रहे हैं कि जब खेल संबंध बहाल किए जा सकते हैं, तो श्रद्धालुओं की धार्मिक यात्राओं पर रोक क्यों लगाई जा रही है। अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार अपने निर्णय पर कायम रहती है या पंजाब और सिख नेताओं की मांगों को ध्यान में रखते हुए इसमें कोई बदलाव करती है।

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