
'भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद बांध से कम पानी छोड़ा', भाजपा ने पंजाब में बाढ़ की जांच की मांग रखी
संक्षेप: सुनील जाखड़ ने आरोप लगाया कि राज्य में 1,000 किलोमीटर लंबे नदी तटबंध और 800 किलोमीटर लंबे नाले (जल निकासी चैनल) हैं, फिर भी सरकार नदी के किनारों को मजबूत करने और समय पर नालों की सफाई करने में विफल रही।
भाजपा की पंजाब इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़ ने राज्य में हाल में आई बाढ़ की जांच की मांग रखी है। उन्होंने कहा कि बाढ़ के कारणों की जांच के लिए रिटायर्ड जज के नेतृत्व में जांच होनी चाहिए। जाखड़ ने पंजाब की भगवंत मान सरकार से रंजीत सागर बांध से छोड़े गए पानी की मात्रा के बारे में भी सवाल किया। उन्होंने कहा कि पठानकोट में रंजीत सागर बांध से बहने वाली रावी नदी के कारण व्यापक क्षति हुई है। यह पूरी तरह से राज्य सरकार के नियंत्रण में है। उन्होंने दावा किया कि 20 से 26 अगस्त के बीच नदी के जलग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद बांध से बहुत कम पानी छोड़ा गया।
सुनील जाखड़ ने कहा कि सरकार के अपने दावों के अनुसार, 27 अगस्त को 2.75 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के चीफ इंजीनियर ने बताया था कि शाहपुर कंडी के निचले इलाकों में छोटे-छोटे नालों के जरिए 4.70 लाख क्यूसेक पानी घुस गया। जाखड़ ने कहा कि रंजीत सागर बांध और माधोपुर हेडवर्क्स के बीच कोई और नदी या नाला नहीं है जिसके जरिए इतनी बड़ी मात्रा में पानी आ सके। उन्होंने कहा कि यह सारा पानी दरअसल पंजाब सरकार की ओर से नियंत्रित रंजीत सागर बांध से छोड़ा गया था।
बैराज की क्षमता की जांच
आम आदमी पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए जाखड़ ने कहा कि जिस कंपनी को पठानकोट के माधोपुर बैराज की क्षमता की जांच का ठेका दिया गया था, उसे जल विज्ञान का कोई अनुभव नहीं था और वह वास्तव में सामाजिक विज्ञान में शोध करने वाली एक कंपनी थी। उन्होंने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने केवल तीन अधिकारियों को निलंबित किया, लेकिन उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जिन्होंने कंपनी को ठेका दिया था। उन्होंने राज्य सरकार से सवाल किया, ‘इस कंपनी को ठेका क्यों दिया गया? क्या तटबंधों को मजबूत करने के लिए आवंटित धनराशि खर्च की गई?’
फाटक की मजबूती का गलत प्रमाण देने का आरोप
राज्य सरकार ने शनिवार को माधोपुर बैराज हादसे में एक कार्यकारी अभियंता समेत तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। पिछले महीने पठानकोट जिले में हेडवर्क्स के दो फ्लडगेट क्षतिग्रस्त हो गए थे। सरकार ने कंपनी पर महोधपुर हेडवर्क्स के फाटक की मजबूती का गलत प्रमाण देने का आरोप लगाया था। जाखड़ ने कहा कि जल संसाधन मंत्री ने कहा था कि तटबंधों को मजबूत करने के लिए 203 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। जाखड़ ने दावा किया कि सरकार ने केवल 80 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। उन्होंने सरकार से 8 अगस्त तक यह स्पष्ट करने को कहा कि इन परियोजनाओं के लिए वास्तव में कितने कार्य आदेश जारी किए गए थे।
1 हजार किलोमीटर लंबे नदी तटबंध
जाखड़ ने आरोप लगाया कि राज्य में 1,000 किलोमीटर लंबे नदी तटबंध और 800 किलोमीटर लंबे नाले (जल निकासी चैनल) हैं, फिर भी सरकार नदी के किनारों को मजबूत करने और समय पर नालों की सफाई करने में विफल रही। उन्होंने दावा किया कि नालों की सफाई न होने के कारण हजारों एकड़ कीनू के बाग नष्ट हो गए हैं और लुधियाना के ससराली इलाके में भी नदी में दरार अवैध खनन के कारण आई है। जाखड़ ने कहा, ‘इस पूरे मामले की एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा समयबद्ध तरीके से जांच कराई जानी चाहिए, ताकि वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसी आपदा दोबारा न हो।’ जाखड़ ने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे झूठ के बारे में चंडीगढ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें बाढ़ के लिए केंद्र सरकार और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। उन्होंने मान सरकार पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हाल में आई बाढ़ के मुद्दे पर राज्य विधानसभा का सत्र बुला रही है।

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Niteesh Kumarलेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




