सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा ऐसा देश है जहां एक भी नदी नहीं है। हालांकि यहां की सरकार ने ऐसी जल प्रबंधन रणनीति बनाई है कि पानी की आपूर्ति होती रहती है। यहां समंदर के खारे जल को पीने योग्य बनाया जाता है। यह देश पानी के दोबारा इस्तेमाल, जल संरक्षण और भूमिगत जल के दोहन में भी काफी खर्च करता है।
संयुक्त अरब अमीरात में भी एक भी नदी नहीं है। यहां पानी की जरूरत डिसिलेशन के जरिए पूरी होती है। उद्योंगों में ट्रीटेड वॉटर का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं भूमिगत जल का भी दोहन किया जाता है।
कतर में भी एक भी नदी नहीं है। यहां 99 फीसदी पीने के पानी की आपूर्ति डिसिलेशन प्लांट्स के जरिए ही होती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां प्रति व्यक्ति पानी की खपत सबसे ज्यादा है।
कुवैत भी अपने पड़ोसियों की तरह ही जल की व्यवस्था डिसिलेशन प्लांट्स से करता है। वहीं सिंचाई और उद्योगों के लिए ट्रीटेड वॉटर का इस्तेमाल किया जाता है।
यह देश भी फारस की खाड़ी में है। यहां नदियां तो नहीं हैं लेकिन झरने और कई अन्य भूजल संसाधन हैं। हालांकि इनसे देश की जरूरत पूरी नहीं हो सकती है। ऐसे में डिसिलेशन प्लांट का इस्तेमाल किया जाता है।
मालदीव भारत का पड़ोसी देश है। यह चारों ओर से समंदर से घिरा हुआ है। इसके बाद भी यहां कोई नदी नहीं है। यहां डिसिलेशन, वर्षा जल संचयन और बोतलबंद पानी के आयात के जरिए पानी की कमी पूरी होती है।
ओमान में स्थायी नदी नहीं हैं लेकिन कई जगहों पर बारिश के दौरान पानी का बहाव होने लगता है। ओमान इसके जरिए ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज करता है। बाकी डिसिलेशन के जरिए भी पानी की कमी पूरी की जाती है।
वेटिकन सिटी दुनिया का बसे छोटा देश है। इसका एरिया ही इतना कम है कि इसमें कोई नदी नहीं है। हालांकि जल संरक्षण यहां भी किया जाता है।