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पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर पढ़ें उनके विचार

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर पढ़ें उनके विचार

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Remembering former President APJ Abdul Kalam on his 87th birth anniversary

मिसाइलमैन के नाम से जाने-जाने वाले एपीजे अब्दुल कलाम की आज जयंती है। पूर्व राष्ट्रपति कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से की थी।

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अब्दुल कलाम ने एक मछुआरे के घर में जन्म लिया। अखबार बेचकर पढ़ाई करने वाले कलाम देश के चोटी के वैज्ञानिक बने। उन्होंने ही भारत के लिए अग्नि, पृथ्वी जैसी मिसाइलें बनाईं थीं और देश को परमाणु शक्ति संपन्न देशों की कैटेगरी में शामिल कराया। कलाम ने डीआरडीओ और इसरो के साथ काफी दिनों तक काम किया है।

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मिसाइलमैन को देश की सेवा के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया।

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भारत के सर्वोच्च पद पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं। अब्दुल कलाम को साल 2002 में भारत का राष्ट्रपति बनाया गया था। वहीं, 5 वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद वे वापस शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा में लौट आए थे।

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1962 में कलाम इसरो में पहुंचे। इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया।

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सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल फिर फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया। इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई। ब्रह्मोस धरती, आसमान और समुद्र कहीं भी दागी जा सकती है।

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एपीजे अब्दुल कलाम ने 4 किताबें भी लिखी थी जो कि लाखों भारतीयों की प्रेरणा स्त्रोत हैं। उनकी किताबें विंग्स ऑफ फायर, इंडिया 2020- ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम, माई जर्नी तथा इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया थी। इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

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