Weight loss tips: 40 के बाद बढ़ते वजन पर इस तरह पाएं काबू
बढ़ती उम्र के साथ सिर्फ चेहरे की बारीक रेखाएं ही नहीं बढ़तीं, बल्कि वजन भी बढ़ता है। धीरे-धीरे यही बढ़ा हुआ वजन कई बीमारियों का कारण भी बन जाता है। 40 के बाद अचानक बढ़ने वाले वजन पर सुमित्रा हमेशा ये...
Anuradhaweight loss
बढ़ती उम्र के साथ सिर्फ चेहरे की बारीक रेखाएं ही नहीं बढ़तीं, बल्कि वजन भी बढ़ता है। धीरे-धीरे यही बढ़ा हुआ वजन कई बीमारियों का कारण भी बन जाता है। 40 के बाद अचानक बढ़ने वाले वजन पर सुमित्रा हमेशा ये बात सोचकर खुश हो जाती थीं कि बढ़ती उम्र के साथ उनकी खूबसूरती में कोई कमी नहीं आई है। 35 फिर 40 और अब 42, वो खुद को खूबसूरती के खांचे में बिल्कुल फिट मानती रहीं। लेकिन अब अचानक उनका वजन बढ़ने लगा है। हमेशा सुपर-फिट रहने वाली सुमित्रा के लिए उनका लगातार बढ़ता वजर्न ंचता का कारण बन रहा है। दरअसल, उन्हें पता नहीं है कि कई सारे शारीरिक बदलावों के चलते 40 की उम्र के बाद महिलाओं को बढ़ते वजन की दिक्कत का सामना करना ही पड़ता है। बढ़ते वजन पर लगाम सिर्फ जीवनशैली में बदलाव लाकर ही लगायी जा सकती है। सुमित्रा की तरह अगर आप भी 40 की उम्र के बाद बढ़ते वजन की दिक्कत का सामना कर रही हैं, तो आइये जानें इससे बचने के आसान उपाय:
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कैलोरी फिर से होने लगेगी बर्न 40 साल की उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में कई सारे बदलाव होते हैं। इन्हीं बदलावों में से एक होता है, मसल्स मास का कम हो जाना। दरअसल, मसल्स मास ही शरीर में कैलोरी जलाने वाले इंजन का काम करता है। जब मसल्स मास की कार्यक्षमता कम हो जाती है तो कैलोरी जलने की बजाय शरीर में स्टोर होने लगती है। यह कैलोरी बाद में शरीर में वसा के रूप में नजर आती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि हर साल हमारे शरीर में एक प्रतिशत तक मसल्स मास कम हो जाता है। इसका सीधा रिश्ता एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन से भी होता है। मसल्स मास के कम होने से इन दोनों हार्मोन का स्राव भी कम होता है, जो मेनोपॉज को प्रभावित करता है। इन सबकी वजह से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और हमारा शरीर उस गति से कैलोरी बर्न नहीं कर पाता है, जैसे पहले करता था। ये प्री-मेनोपॉज वाली स्थिति होती है और ठीक इसी समय शरीर पर अतिरिक्त चर्बी इकट्ठा होने लगती है। हल भी जानिए: स्ट्रेंथ ट्र्रेंनग (मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए किए जाने वाले व्यायाम) से आपको लाभ मिलेगा। सप्ताह मेें दो से चार बार स्ट्रेंथ ट्र्रेंनग करें। इससे मसल्स मास फिर से विकसित होगा, चर्बी कम होगी और मेटाबॉलिज्म भी दुरुस्त होगा। स्ट्रेंथ ट्र्रेंनग करने में अगर आपको किसी तरह की दिक्कत हो तो पर्सनल ट्रेनर की मदद जरूर लें, क्योंकि गलत तरह से की गई ट्र्रेंनग, आपको चोट भी पहुंचा सकती है। हर एक्सरसाइस के बीच 30 सेकेंड आराम जरूर करें। व्यायाम के साथ आपको अपनी खुराक पर भी ध्यान देना होगा। खाने की थाली में कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट यानी साबुत अनाज की मात्रा बढ़ानी होगी, जबकि इसके उलट सिंपल कार्बोहाइड्रेट जैसे मैदा आदि से दूरी बनानी होगी।
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उम्र के साथ बढ़े व्यायाम भी अधिकांश भारतीयों की जिंदगी में व्यायाम के लिए कोई जगह है ही नहीं, जबकि सेहतमंद जिंदगी के लिए जरूरी है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़े, वैसे-वैसे व्यायाम भी बढ़ता जाए। ऐसा बढ़ते वजन के साथ भी करना है। बढ़ते वजन के हिसाब से अगर व्यायाम नहीं किया जाएगा तो इसकी नतीजा यह होगा कि वजन लगातार सिर्फ बढ़ेगा ही। पर आपको यह बात भी माननी होगी कि उम्र बढ़ने के साथ स्त्री हो या पुरुष, दोनों की व्यायाम करने की क्षमता और इच्छा कम हो जाती हैं। 40 की उम्र पार करन के बाद शरीर व्यायाम के हिसाब से ऊर्जा के इस्तेमाल को भी कम कर देता है। मतलब खूब व्यायाम के बाद भी कैलोरी की कटौती बहुत ज्यादा नहीं होती है। कैलोरी कम नहीं होती और वजन बस बढ़ता चला जाता है। याद रखिए कि आप जितना ज्यादा व्यायाम करेंगी, उतना ज्यादा प्रोटीन भी अपनी डाइट में आपको शामिल करना होगा। हल भी जानिए: उम्र बढ़ने के साथ व्यायाम कम कर देने वाली सोच सही नहीं है। जानकारों की मानें तो बढ़ती उम्र के साथ ज्यादा व्यायाम करने की जरूरत होती है। अगर आपको लग रहा है कि आप व्यायाम अच्छे से नहीं कर पा रही हैं तो दोबारा शुरुआत करें, लेकिन धीमे-धीमे। शुरुआत टहलने से करें, फिर धीरे-धीरे टहलने की गति और दूरी बढ़ा दें। कुल मिलकर बढ़ती उम्र के साथ आपको रुकना नहीं है, बल्कि और तेज भागना है, ताकि आप फिट रह सकें।
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थाइरॉइड पर रखें नियंत्रण 2017 में आई एक रिपोर्ट कहती है कि हर तीसरे भारतीय को थाइरॉइड की दिक्कत है। ऐसे में इस ग्लैंड की सेहत का ध्यान रखना तब और जरूरी हो जाता है, जब इसका सीधा रिश्ता उम्र से हो। दरअसल उम्र के हिसाब से मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ने लगता है। थाइरॉइड ग्लैंड मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है। अगर थाइरॉइड कम या ज्यादा होता है तो मेटाबॉलिज्म की गति भी इससे प्रभावित होगी। इन दोनों ही स्थितियों में ये शरीर के लिए हानिकारक होगा। अगर आपका मेटाबॉलिज्म बहुत तेज है तो चाहकर भी आपका वजन नहीं बढ़ पाएगा। इस स्थिति को हायपरथाइरॉइड कहेंगे। वहीं, अगर मेटाबॉलिज्म धीमा है तो आपका वजन बढ़ता ही चला जाएगा। इस स्थिति को हाइपोथाइरॉइड कहेंगे। ऐसी स्थिति में आपको ऊर्जा की कमी महसूस होगी और आप हमेशा सुस्त रहेंगी। हल भी जानिए: अपने आहार में सिलेनियम युक्त खाद्य पदार्थों को ज्यादा-से-ज्यादा मात्रा में शामिल करें। सिलेनियम एक तरह का मिनरल होता है, जो संक्रमण से लड़ने में भी भरपूर मदद करता है। इसके सेवन के लिए दूध या दही दोनों को ही खाया जा सकता है। एक कप दूध या दही में आठ माइक्रोग्राम सिलेनियम होता है। ये अंडे और चिकन में भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है।
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इन बातों का भी रखें ध्यान ’ चीनी का सेवन कम करें। ’ नियमित तौर पर व्यायाम करें। ’ मौसमी फल और सब्जियों का सेवन भी जरूर करें। ’ अवसाद है या उसके लक्षण हैं तो ध्यान करें। अवसाद कम होगा। ’ अपनी डाइट में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं। जितना बीएमआर, उतना खाना अकसर महिलाएं घर पर ही डार्इंटग करके वजन कम करने की कोशिश करती हैं। कई बार इस कोशिश में सफलता मिलती है और कई बार असफलता। पर इन महिलाओं को उदाहरण के तौर पर देखना सही नहीं है। वजह है, उनके शरीर में डार्इंटग की वजह से होने वाले पोषक तत्वों की कमी। इस तरह मनमर्जी से डार्इंटग करके महिलाएं कई सारी बीमारियों को भी दावत दे देती हैं। हल भी जानिए: खुद ही खुद की डाइटीशियन बनना ठीक नहीं है। इसके लिए किसी एक्सपर्ट की राय जरूरी है। ये एक्सपर्ट ही आपको बीएमआर यानी बेसल मेटाबॉलिक रेट का फंडा समझा सकते हैं। बीएमआर कैलोरी की वो मात्रा है, जो जिंदा रहने के लिए हमारे शरीर को चाहिए होती है। बीएमआर जानने के बाद विशेषज्ञ उसी दर से आपकी डाइट तय कर देंगे। वैसे भी भूखे रह कर भी मोटापा बढ़ने की आशंका रहती है। दरअसल वसा कम करने के लिए भी शरीर को कैलोरी की जरूरत होती है। भूखे रहने से उतनी कैलोरी शरीर को मिल ही नहीं पाती, जितनी फैट बर्न करने के लिए शरीर को जरूरत होती है। इतना ही नहीं, डार्इंटग की वजह से कई बार जरूरत भर फैट भी शरीर को नहीं मिल पाता, जबकि दुरुस्त मेटाबॉलिज्म के लिए वसा की भी जरूरत होती है। (लखनऊ स्थित फिटनेस एक्सपर्ट सौरभ मेहता से बातचीत पर आधारित)