अपने बच्चे को इस तरह सिखाएं भावनाओं को जताना, ऐसा करने के होते हैं ये फायदे
अधिकांश माता-पिता की यह शिकायत होती है कि हमारा बच्चा कोई बात नहीं मानता। कोई भी हिदायत देने पर वह ठीक विपरीत काम करता है। पर क्या आप जानती हैं कि आपका बच्चा आखिर ऐसा करता क्यों हैं? ऐसा इसलिए होता...
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अगर बच्चा अपनी भावनाओं को जताना सीख ले, तो आधी परेशानी दूर हो जाती है। इस काम में कैसे करें बच्चे की मदद, बता रही हैं पूनम महाजन अधिकांश माता-पिता की यह शिकायत होती है कि हमारा बच्चा कोई बात नहीं मानता। कोई भी हिदायत देने पर वह ठीक विपरीत काम करता है। पर क्या आप जानती हैं कि आपका बच्चा आखिर ऐसा करता क्यों हैं? ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आप अपने बच्चे की भावनाओं को समझ ही नहीं पाती हैं और परेशान होकर बच्चा वैसा व्यवहार करता है। बच्चे को समझने के लिए उसकी भावनाओं और विचारों को जानना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि आप बच्चे की भावना को समझेंगी, तभी उसके साथ अपना रिश्ता मजबूत बना पाएंगी। बच्चे के सही पालन-पोषण के अतिरिक्त उसकी मानसिक स्थिति को समझना और उसके अनुकूल व्यवहार करना भी बहुत जरूरी है। ध्यान रहे, अगर आप अपने बच्चे को खुद को व्यक्त करने का मौका नहीं देंगी तो बच्चे को यह महसूस होने लगेगा कि उसकी भावनाएं योग्य नहीं हैं। बच्चों को अपनी भावनाएं अभिव्यक्त करने के लिए आप ये तरीके आजमा सकती हैं:
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उनके संकेतों का जवाब दें : बच्चा अगर बहुत छोटा है तो वो जब भी आपको पुकारे, तुरंत जवाब दें। इस तरह बच्चे को पता चलेगा कि आप उसकी बात को सुनती और समझती हैं। इस तरह धीरे-धीरे आप उनकी सांकेतिक बोली को भी समझने लगेंगी। जिन शिशुओं को बहुत डरा या धमका कर रखा जाता है और उन्हें रोने के लिए छोड़ दिया जाता है, वे जिद्दी बन जाते हैं। बड़े होने पर इसका उनके व्यक्तित्व पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
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समझें बच्चे की जरूरत : बहुत छोटे बच्चों की बात को अकसर गलत समझने के कारण भी दिक्कत हो सकती है। जैसे कि हमें लगता है कि वह नखरे कर रहा है और हम उसे रोने के लिए छोड़ देते हैं। बच्चा अगर नखरा करे तो आप उस दौरान शांत रहने की कोशिश करें। उसे हंसी-मजाक में उड़ा दें। यदि आप यह नहीं समझ पा रही हैं कि आपका बच्चा आपको क्या बताने की कोशिश कर रहा है तो उसकी आंखों को गौर से देखें। बच्चे की बात आपको झट से समझ में आ जाएगी।
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अपने मन की कहें-सुनें : एक अच्छी रोल मॉडल बनें और अपने बच्चे को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का तरीका दिखाएं। बच्चे से बात करते वक्त उन शब्दों का उपयोग करें, जिन्हें बच्चा समझ सके। उन्हें भावना शब्द का असल मतलब समझाएं। आप उसके सामने कह सकती हैं कि मुझे बहुत दुख हो रहा है कि पापा कुछ दिनों के लिए दूर गए हैं। मुझे उनकी याद आती है या मुझे गुस्सा आ रहा है कि कोई भी घर के काम में मेरी मदद नहीं करता। मैं यह सारा काम अकेले करते-करते थक गई हूं। इस तरह बच्चा आपको तो समझेगा ही, उसकी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में हिचक भी खत्म होगी।
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भावनाओं को सही नाम देने में मदद करें : जब बच्चे बहुत निराश और दुखी हो जाते हैं तो वही सही समय होता है कि आप उनसे बात करें। ऐसे में आप दोनों के बीच एक भावनात्मक संबंध विकसित होता है। आप उनको भावनाओं को सही नाम देना सिखाएं। कई ऑनलाइन गेम भी हैं, जिनमें भावनाओं को लेबल (नाम देना) किया जाता है। इस तरह वे भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।
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