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खाना पकाने के इन तेलों को इस्तेमाल करने से पहले बरतें ये सावधानी

खाना पकाने में सबसे महत्वपूर्ण चीज है कुकिंग ऑयल यानी खाना पकाने का तेल। सही तेल में सही तरीके से पकाया गया खाना ही अच्छा और सेहतभरा होता है। हेल्दी ऑयल में बना खाना उसके गुण और फायदे को बढ़ाता...

Anuradha
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सरसों का तेल

खाना पकाने में सबसे महत्वपूर्ण चीज है र्कुंकग ऑयल यानी खाना पकाने का तेल। सही तेल में सही तरीके से पकाया गया खाना ही अच्छा और सेहतभरा होता है। हेल्दी ऑयल में बना खाना उसके गुण और फायदे को बढ़ाता है, वहीं अनहेल्दी ऑयल में पका हेल्दी फूड भी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है और आपके दिल को भी बीमार कर सकता है, जानकारी दे रही हैं नीलम शुक्ला आजकल खाने के सभी तेलों के लेबल के साथ दिल के लिए अच्छा, मोनोअनसेचुरेटेड फैट, ओमेगा थ्री, कैरोटीन जैसे शब्द जोड़ दिए जाते हैं। इस कारण इन तेलों को लेकर भ्रम और बढ़ जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि तेलों पर लगने वाले इन लेबलों के बारे में आम लोगों को कुछ भी समझ नहीं आता। वैसे भी तेल के बारे में चाहे कितने भी दावे किए जाएं, लेकिन सभी में वसा होता है और सभी के अपने नुकसान हैं। जब बीज में से तेल निकालना ही प्रकृति के खिलाफ है, तो तेल दिल के लिए अच्छा कैसे हो सकता है। आइए जानते हैं अलग-अलग तेलों के फायदे और नुकसान के बारे में-

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olive oil

ऑलिव ऑयल एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल चयापचय, पाचन को बढ़ावा देने के साथ हृदय रोग और डायबिटीज जैसी बीमारियों से बचाव करता है। हृदय के लिए अनुकूल होने के कारण यह काफी लोकप्रिय है। बरतें सावधानी ऑलिव ऑयल की सुगंध बहुत ही तेज होती है, इसलिए हर तरह के खाने में इसका इस्तेमाल नहीं होता। ऑलिव ऑयल को कम मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि इसमें हाई कैलरी होती है। तेज आंच पर गर्म करने से तेल में जो बदलाव होता है, वह शरीर के लिए ठीक नहीं होता।

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सरसों का तेल

सरसों का तेल कड़वे तेल के नाम से पारंपरिक रूप से उपयोग किया जाने वाला सरसों का तेल अपनी तासीर और गुणों के कारण कई तरह की समस्याओं में औषधि के रूप में काम आता है। अपने एंटीसेप्टिक गुणों के कारण सरसों का तेल गले की तकलीफ, दमा, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसे रोगों से बचाव करता है। बरतें सावधानी सरसों के तेल में यूरिक एसिड बहुत अधिक मात्रा में होता है, जिस कारण यह स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। सरसों के तेल को अधिक गर्म करने पर इसमें मौजूद ओमेगा 3 नष्ट हो सकता है और पोषक तत्व कम हो सकते हैं। इस तेल की अधिक मात्रा का सेवन एनीमिया का कारण बन सकता है। सरसों के तेल का अधिक सेवन फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है। सरसों के तेल में ईरुसिक एसिड मौजूद होता है, जो हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है। सूरजमुखी का तेल सूरजमुखी के तेल के अनेक फायदे होते हैं। सूरजमुखी के तेल में प्रोटीन, फाइबर, वसा, विटामिन बी1, विटामिन बी3, विटामिन बी6, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम पाये जाते हैं, जो हमारे स्वस्थ शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। सूरजमुखी के तेल में अच्छे एंटीआक्सिडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा, बालों, पाचन तंत्र और हृदय के लिए लाभकारी होते हैं। यह कैंसर, संक्रमण व कई अन्य बीमारियों से बचाव करता है। बरतें सावधानी ’ सनफ्लावर के बीजों में फॉस्फोरस पाया जाता है, जिसका अधिक मात्रा में सेवन करने से किडनी पर प्रभाव पड़ता है। इसके लगातार सेवन करते रहने से किडनी खराब हो सकती है। ’ इसमें पाया जाने वाला सिलीनियम विषाक्तता का कारण बन सकता है, जिसकी अधिकता मृत्यु का कारण भी बन सकती है। ’ लगातार सेवन करने से शरीर में वसा जमा होने लगती है और शरीर का वजन बढ़ने लगता है।

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coconut oil

नारियल का तेल खाना पकाने में नारियल का तेल ज्यादा अच्छा रहता है। यह तेल ऑक्सीकरण के प्रति कम असुरक्षित होता है, जो इसे खाना पकाने के लिए सबसे सुरक्षित बनाता है। नारियल तेल में बाकी सभी तेलों के मुकाबले कम फैट होता है। बरतें सावधानी ’ सैचुरेटेड फैट ज्यादा होने के कारण यह ब्लड कोलेस्ट्रॉल बढ़ा सकता है। सोयाबीन का तेल सोयाबीन का तेल ओमेगा 3 से भरपूर होता है। यह विटामिन ई का बहुत अच्छा स्रोत है। सोयाबीन के तेल का उपयोग वजन बढ़ाने, हड्डियों को मजबूत करने, मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ाने आदि में लाभकारी साबित होता है। बरतें सावधानी ’ इसका इस्तेमाल तेज आंच पर नहीं करना चाहिए। कुछ लोग इस तेल के इस्तेमाल से एलर्जी के शिकार हो जाते हैं। कनोला ऑयल इन दिनों कनोल ऑयल न्यूट्रिशनिस्ट का पसंदीदा तेल बना हुआ हैं, क्योंकि इसमें हृदय रोग के खतरों को कम करने के गुण हैं। इसमें सैचुरेटेड फैट्स बहुत ही कम होता है। सावधानियां ’ इसमें विटामिन ई होता है, जिसे फेफड़ों की क्षमता को कम करने के लिए जाना जाता है।

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canola oil

घी का करें इस्तेमाल घी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे संक्रमण और बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है। अगर आप रोजाना खाने में घी का इस्तेमाल करते हैं, तो इससे न सिर्फ आपका खाना जायकेदार होगा, बल्कि इससे आपके शरीर में ऊर्जा का स्तर भी बढ़ेगा। घी में फैटी एसिड होता है, जिसे पचाना बेहद आसान है और ये हमारे हार्मोन्स के लिए भी फायदेमंद होता है। घी में विटामिन ए, डी, कैल्शियम, फॉस्फोरस, मिनरल्स, पोटैशियम जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो आपको ज्यादा समय तक जवान बनाए रखते हैं। बरतें सावधानी ’ घी अधिक खाने से अपच और लूज-मोशन की समस्या हो सकती है। ’ प्रेग्नेंसी की शुरुआत में घी घातक हो सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के शुरू के कुछ महीनों में घी खाने से बचना चाहिए। ’ सर्दी और कफ की शिकायत हो तो घी से दूरी बनाएं। घी के सेवन से कफ बनने लगता है और आपकी ये समस्या भयानक रूप ले सकती है। कुछ अन्य तेल ’ तिल के तेल में एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटी-इन्फ्लेमेटरी यौगिक होते हैं, जो हृदय की बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। ’ राइस ब्रान ऑयल को हृदय के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह पॉलीअनसेचुरेटेड होता है। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखता है। ’ वेजिटेबल ऑयल यानी सूरजमुखी, कुसुम और राइस ब्रान का मिश्रण। इसमें सभी तेलों के अच्छे गुण पाए जाते हैं तथा इसे सभी प्रकार का खाना पकाने के लिए उपयुक्त माना जाता है। ’ मूंगफली का तेल ट्रांस फैट फ्री, कोलेस्ट्रॉल फ्री होता है तथा इसमें सेचुरेटेड फैट कम होते हैं। इसमें विटामिन ई, एंटीऑक्सिडेंट्स और फायटोस्टेरोल्स होते हैं। ध्यान रहे ’ किसी भी वनस्पति तेल में कोलेस्ट्रॉल नहीं होता, बल्कि कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में जाकर बनता है। ’ मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स युक्त ऑयल एक साल तक चलते हैं और रिफाइंड ऑलिव ऑयल तो कुछ सालों तक चल सकता है, क्योंकि उसमें सबसे ज्यादा मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स होते हैं। ’ एक्स्ट्रा वर्जिन और वर्जिन ऑलिव ऑयल सील खोलने के बाद एक साल तक खराब नहीं होता। ज्यादातर तेलों के इस्तेमाल करने की अवधि सील खोलने के बाद 6-8 महीने तक ही होती है। ’ सबसे अच्छा र्कुंकग ऑयल वही होता है, जिसमें सैचुरेटेड फैट्स कम हों। ’ वो ट्रान्स फैट और कोलेस्ट्रॉल फ्री हो। ’ उसमें ओमेगा 6 फैट की भी कुछ मात्रा हो। ’ तेज आंच पर उसके पोषक तत्व नष्ट न हों। (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. के. के. अग्रवाल से की गई बातचीत पर आधारित)

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