1/7हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है। इन दिनों पितरों को याद कर उनका श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान दिया जाता है। यह पूरे 16 दिनों तक चलता है। कहते हैं कि इन दिनों हमारे पूर्वज स्वयं धरतीलोक पर आते हैं। इन दिनों कई नियमों का पालन करना होता है, उसमें खानपान से जुड़े कुछ नियम भी शामिल हैं। (All Images Credit: Pinterest)

पितृ पक्ष के दिनों का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा होता है इसलिए कहा जाता है कि इन दिनों प्याज और लहसुन खाने से परहेज करना चाहिए। लहसुन खाने से एक बार को परहेज हो जाता है लेकिन प्याज के बिना बहुत लोग खाना नहीं खा पाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई इन दिनों प्याज-लहसुन नहीं खाना चाहिए? अगर ऐसा करते भी हैं तो क्या पाप लगता है?

प्रेमानंद जी महाराज के सत्संग में आए एक युवक ने उनसे सवाल किया कि क्या प्याज-लहसुन खाना पाप है। इसपर प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि जिस तरह आलू जमीन से पैदा होता है, उसी तरह प्याज और लहसुन भी होता है। ऐसे में पाप लगने जैसी कोई बात ही नहीं है।

महाराज जी कहते हैं कि प्याज-लहसुन खाने पर आप किसी जीव की हत्या नहीं कर रहे हैं। ऐसे में इसे मांसाहार की तरह नहीं मानना चाहिए।इसलिए प्याज-आलू खाने पर पाप लगने बात बिल्कुल गलत है।

हालांकि प्याज और लहसुन तमोगुणी होते हैं। अर्थात इन्हें खाने पर काम और क्रोध जैसा तमोगुणी स्वभाव पैदा होता है। यही वजह है कि शास्त्रों में प्याज और लहसुन से दूरी बनाने की बात कही गई है।

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि जिन लोगों को सात्विक जीवन जीना है, उन्हें प्याज-लहसुन नहीं खाना चाहिए। वहीं जो भक्ति मार्ग में आगे बढ़ना चाहते हैं, उनके लिए भी प्याज और लहसुन त्यागने की सलाह दी गई है।

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि शास्त्रों में पितृ पक्ष के दौरान प्याज और लहसुन खाना वर्जित माना गया है। ये तामसिक भोजन होते हैं, जो मन को अशांत करते हैं। इससे पितृ नाराज हो हो सकते हैं। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान शुद्ध सात्विक भोजन खाएं और प्याज-लहसुन से परहेज करें।
