जब साथी ही बन जाता है जहर
प्रतीक और रिचा की शादी के छह साल होने को हैं। लोगों को ये जोड़ी शानदार लगती है। सब कुछ तब तक सामान्य लगता है, जब तक नजारा बाहर से देखा जाए। सिक्के का दूसरा पहलू समझने के लिए बंद कमरे के अंदर का मंजर...
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रिश्ते की खुशहाली के लिए पति-पत्नी दोनों को मेहनत करने की जरूरत होती है। अगर एक पक्ष हावी हो जाए तो कई बार दूसरे के लिए वह रिश्ता मानसिक प्रताड़ना जैसा बन जाता है, बता रही हैं स्वाति शर्मा प्रतीक और रिचा की शादी के छह साल होने को हैं। लोगों को ये जोड़ी शानदार लगती है। सब कुछ तब तक सामान्य लगता है, जब तक नजारा बाहर से देखा जाए। सिक्के का दूसरा पहलू समझने के लिए बंद कमरे के अंदर का मंजर जानना जरूरी है। यहां रिचा और प्रतीक के बीच एक दूरी दिखती है। अपने पति के साथ का समय रिचा के लिए कैद से कम नहीं होता। पर वह जो करता है, उसे मानसिक प्रताड़ना कहते हैं। रिचा जैसी कई महिलाएं ऐसी प्रताड़ना से जूझती रहती हैं। एक सर्वे के मुताबिक, मानसिक प्रताड़ना का सामना करने वाली सिर्फ 32.6 प्रतिशत महिलाएं ही रिपोर्ट दर्ज करवाती हैं। अधिकांश इस तरह की समस्याओं को जीवन का हिस्सा मान लेती हैं। अंतत: इसका खामियाजा उन्हें मनोबल में कमी, अवसाद, आत्महत्या जैसे नतीजों के रूप में भुगतना पड़ता है। भावनात्मक शोषण इस तरह के रिश्तों में खासतौर पर देखने को मिलता है। इस तरह के रिश्ते के निम्न लक्षण होते हैं:
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साथी के आत्मसम्मान का ध्यान न रखना : रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. निशा खन्ना के अनुसार, सम्मान हर रिश्ते में जरूरी होता है। अपने साथी का लोगों के बीच मजाक बनाना इस हद तक कि वो उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा दे, रिश्ते की मर्यादा को भंग करना है। अपने साथी के सम्मान की जिम्मेदारी दोनों पक्षों को बराबर बांटनी जरूरी है। यह जरूरी नहीं कि आपका साथी आपको अपशब्द कहता हो। गलत नामों से पुकारना, अन्य लोगों के बीच गलत तरीकों से बात करना भी सम्मान न करने के बराबर ही माना जाएगा।
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क्या करें इस स्थिति में? रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. निशा कुछ तरीके सुझाती हैं, जो रिश्ते सुधारने में मदद करेंगे: साथी से अपनी उम्मीदों की एक लिस्ट तैयार कर उन्हें खुलकर अपने साथी के सामने लाएं। आपको होने वाली समस्याओं को स्पष्ट तौर पर रखें और लेन-देन की तरह स्पष्ट रूप से बात करें। अपने अधिकारों को समझें। उन्हें हासिल करने के लिए आवाज उठाएं। भावनात्मक रूप से संतुलित रहने की कोशिश करें। सोच सकारात्मक रखें। अपने लक्ष्य, सुविधा, असुविधा, हर बात को साथी के सामने स्पष्ट तौर पर रखें। अपने कानूनी अधिकारों को जानें। अगर पैसे की जरूरत है तो साथी से मांगें। यह आपका अधिकार है।