हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं दोनों ही करती हैं और माता पार्वती से अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। माता पार्वती की पूजा शिव समेत की जाती है लेकिन इस पूजा में ज्यादातर चीजें मां पार्वती को खुश करने के लिए ही चढ़ती हैं। पूजा के वक्त इन सारी चीजों को माता पार्वती को जरूर चढ़ाएं जिससे देवी प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दें।
हरतालिका का व्रत पूरे 16 श्रृंगार के बगैर अधूरा होता है। इस व्रत में महिलाओं को श्रृंगार करने के साथ ही पूजा में मेंहदी, सिंदूर, बिछिया, चूड़ी जैसे पूरे 16 श्रृंगार को अर्पित करना चाहिए।
वैसे तो पूजा में पूरे 16 तरह के पत्रों को चढ़ाना चाहिए लेकिन बेल का पत्र सबसे जरूरी है। क्योंकि माता पार्वती ने सूखे बेल पत्रों को ग्रहण कर व्रत किया था। इसलिए बेल पत्र जरूर अर्पित करना चाहिए।
खीर, पुआ, गुझिया जैसी मीठी चीजों को माता पार्वती को भोग में जरूर चढ़ाएं।
माता पार्वती की पूजा में मिट्टी के बने शिवलिंग और मिट्टी के बने शिव परिवार को जरूर रखना चाहिए।
हरतालिका की पूजा में काले चने और गुड़-घी को मिलाकर जरूर देवी पार्वती को चढ़ाएं। ये दो भोग मां को बेहद पसंद आते हैं। इससे देवी मां की पूजा पूरी होती है।
फूलों से बनी हुई छतरी माता पार्वती और शिव को जरूर चढ़ाएं।