1/8हिंदू धर्म में दशहरा 2025 का त्योहार बेहद खास महत्व रखता है। दशहरे के मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में तरह-तरह की चीजें बनाई जाती हैं। लेकिन विजय दशमी 2025 का पर्व कुछ खास ट्रेडिशनल व्यंजनों के बिना अधूरा माना जाता है। माना जाता है कि ये चीजें दशहरा के दिन बनाने से घर में सौभाग्य बढ़ता है। यह खास पारंपरिक व्यंजन दशहरे की खुशी को दोगुना कर देते हैं।

जलेबी अपनी गोल आकृति और मिठास के लिए जानी जाती है। गोल आकार जीवन में निरंतरता और पूर्णता का प्रतीक है, जबकि मिठास खुशी और समृद्धि को दर्शाती है। दशहरे के दिन जलेबी बनाना और बांटना सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य को आमंत्रित करता है।

दही को हिंदू परंपरा में शीतलता और शांति का प्रतीक माना जाता है। दशहरे जैसे उत्सव में दही वड़ा बनाना घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। दही में तड़का और मसाले डालकर परोसा गया वड़ा उत्सव की खुशी को बढ़ाता है और परिवार में सौभाग्य को आमंत्रित करता है।

दाल पराठा उत्तर भारत में कई घरों में त्योहारों पर बनाया जाता है। यह सादगी और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, जो दशहरे के मूल्यों जैसे धैर्य और साहस से जुड़ा है। दाल पराठा प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का संतुलित मिश्रण है, जिसे दशहरा जैसे शुभ दिन पर बनाना परिवार के स्वास्थ्य और सौभाग्य की कामना को दर्शाता है।

गोल लड्डू जीवन में पूर्णता और लंबी आयु का प्रतीक माना जाता हैं। बेसन को शुद्ध और सात्विक माने जाने की वजह से यह आध्यात्मिक शुद्धता को बढ़ाता है। जबकि लड्डुओं में घी का उपयोग समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक है। दशहरे पर बेसन के लड्डू बांटने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

गुजरात में दशहरा फाफड़ा-जलेबी के बिना अधूरा माना जाता है। फाफड़ा बेसन से बनता है, जो सादगी और शुद्धता का प्रतीक है। इसे जलेबी के साथ परोसना मिठास और सादगी का संतुलन दर्शाता है, जो जीवन में संतुलन और सौभाग्य लाता है।

दशहरे के खास अवसर पर कर्नाटक में मीठा डोसा बनाया जाता है। जिसे चावल-गेहूं के आटे, गुड़ और नारियल से बनाकर तैयार किया जाता है।

खीर दूध और चावल से बनती है, जो दोनों ही शुद्धता और पोषण के प्रतीक हैं। दूध को लक्ष्मी जी का आशीर्वाद माना जाता है, जो धन और समृद्धि लाता है। दशहरे पर इसे बनाना और परिवार में बांटना आध्यात्मिक शुद्धता और सामूहिक सौभाग्य को बढ़ाता है।
