1/7तीज-त्योहार हो या कोई व्रत-पूजा पाठ, सनातन धर्म में ईश्वर के आगे फूल चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन क्या आप इसके पीछे के छिपे कारण को जानते हैं ? आखिर ऐसा क्यों किया जाता है? बता दें, मंदिर में भगवान को फूल चढ़ाने के पीछे सिर्फ आध्यात्मिक कारण ही नहीं बल्कि कई सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारण भी छिपे हुए हैं। ये केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके गहरे अर्थ और लाभ भी हैं। Pic Credit ; Pinterest

फूल जल्दी मुरझा जाते हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता को दर्शाता है। यह हमें याद दिलाता है कि हमें अपने जीवन को भक्ति और अच्छे कर्मों में लगाना चाहिए। Pic Credit ; Pinterest

फूलों की सुगंध मंदिर के वातावरण को शांत और सकारात्मक बनाती है। यह तनाव को कम करने और ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, फूलों की सुगंध और रंग सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। यह माना जाता है कि फूल भगवान की कृपा और आशीर्वाद को भक्त तक पहुंचाने में मदद करते हैं। Pic Credit ; shutterstock

फूलों की प्राकृतिक सुगंध (जैसे चमेली, गुलाब) मन को शांत करती है और भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव में डूबने में सहायता करती है।

कुछ फूल, जैसे मरिगोल्ड (गेंदा) और तुलसी, में प्राकृतिक कीटाणुनाशक गुण होते हैं। ये मंदिर के आसपास के वातावरण को शुद्ध रखने में मदद करते हैं। Pic Credit ; shutterstock

फूलों का रंग और सुगंध मन को प्रसन्न करते हैं, जिससे भक्त को पूजा के दौरान शांति और खुशी का अनुभव होता है। Pic Credit ; shutterstock

पूजा में हमेशा फ्रेश फूल ही चढ़ाने चाहिए। रासायनिक रंगों वाले या मुरझाए फूलों को ईश्वर को चढ़ाने से बचें। ऐसे फूल पूजा की शुद्धता को प्रभावित कर सकते हैं।
