1/7शरद पूर्णिमा के साथ ही हिंदू कैलेंडर में कार्तिक का महीना शुरू हो जाता है। ये महीना बेहद पवित्र माना जाता है। इसे दामोदर मास के नाम से भी जानते हैं। इस साल 7 अक्टूबर से कार्तिक का महीना स्टार्ट हो रहा है। इस महीने में पूजा-पाठ और त्योहारों के साथ ही खानपान का भी महत्व है। आयुर्वेद में बदलते सीजन में खानपान का ध्यान रखने की जरूरत होती है क्योंकि सर्दियां शुरू होने वाली रहती है। इसलिए जान लें कार्तिक महीने में किन चीजों को खाना अवॉएड करना चाहिए।

किसी भी धार्मिक महीने की तरह ही इस महीने में भी नॉन वेज खाने से परहेज की सलाह दी जाती है। लेकिन अगर आप साइंस के नजरिए से जानना चाहते हैं तो कार्तिक का महीना अक्सर मौसम बदलने वाला होता है और इस समय एनिमल्स के रिप्रोडक्शन का टाइम होता है। वहीं कई सारी बीमारियां भी उनके शरीर में पनपती रहती है। ऐसे मौसम में नॉनवेज खाना डाइजेशन को कमजोर कर सकता है या फिर बीमार भी बना सकता है।

कार्तिक महीने के साथ ही सर्दियों की दस्तक शुरू हो जाती है। नोटिस करने वाली चीज है कि जमीन से निकलने वाला पानी इस मौसम में गर्म हो जाता है। ये नेचर का इशारा होता है कि अब ठंडे पानी को पीना अवॉएड करना चाहिए। फ्रिज के साथ ही घड़े और मटके के ठंडे पानी को भी पीने से बचना चाहिए। नहीं तो सर्दी-जुकाम होना तय है। खासतौर पर अस्थमा के मरीजों को खानपान में सावधानी रखने की जरूरत होती है।

इस महीने में सब्जियों में करेला खाना अवॉएड करना चाहिए। इस वक्त करेला तेजी से पक जाता है और इसके बीजों में बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं। इस तरह के करेले खाने से फूड प्वाइजनिंग का डर रहता है।

नॉन वेज फूड आइटम्स में मछली को भी कार्तिक महीने में नहीं खाना चाहिए। मान्यता है कि भगवान विष्णु फिश के रूप में पानी में रहते हैं। वहीं बारिश के बाद बाढ़ की वजह से नदियों का पानी दूषित होता है। ऐसे में मछली खाना हेल्थ को खराब कर सकता है।

कार्तिक के महीने में आहार, खानपान के साथ लाइफस्टाइल के नियम बताए गए हैं। जैसे कि खानपान में चना, अरहर जैसी दाल के साथ फलियों जैसे सोयाबीन, राजमा को खाने से परहेज करना चाहिए। ये गरिष्ठ होते हैं और डाइजेशन को कमजोर बना देते हैं।

बदलते मौसम के साथ ही दही को इस महीने में खाना अवॉएड करने की सलाह दी जाती है। इसमे मौजूद बैक्टीरिया अक्सर गले में खराश और सर्दी-जुकाम पैदा करने लगते हैं।
