श्रीनाथ अरविंद भी किसी सनसनी की तरह ही उभरे थे। कर्नाटक के अरविंद बाएं हाथ के तेज गेंदबाज थे। आरसीबी के लिए खेलते हुए 13 मैचों में उन्होंने 21 विकेट हासिल किए थे। लेकिन अगले सीजन में वह भी अपनी चमक खो बैठे।
आईपीएल के पहले सीजन में मनप्रीत सिंह गोनी के रूप में एक तेज गेंदबाज उभरा। गोनी ने 16 मैचों में 17 विकेट लिए थे। ऐसा लगा कि वह भारतीय क्रिकेट में तेज गेंदबाज की कमी पूरी करेंगे। लेकिन वह अपना जादू बरकरार नहीं रख सके।
सौरभ तिवारी ने जब आईपीएल में एंट्री की तो खूब हल्ला मचा था। सौरभ धोनी के प्रदेश रांची से आते थे। उनका पहला आईपीएल सीजन मुंबई इंडियंस के लिए था। उन्होंने 16 मैचों में 135.59 के स्ट्राइक रेट से 419 रन बनाए। अगले सीजन में आरसीबी ने सौरभ को 1.6 करोड़ रुपए में खरीदा, लेकिन वह अपना पिछला प्रदर्शन दोहरा नहीं सके।
स्वप्निल असनोडकर ने भी आईपीएल के पहले सीजन में खूब धूम मचाई थी। राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलते हुए स्वप्निल ने नौ मैचों में 311 रन बनाए थे। हालांकि बाद में वह अपना यह प्रदर्शन जारी नहीं रख सके।
कामरान खान भी राजस्थान रॉयल्स के ही तेज गेंदबाज थे। बाएं हाथ के इस पेसर को उस वक्त फ्रेंचाइजी के कप्तान रहे शेन वॉर्न ने टॉरनैडो नाम दिया था। पहले सीजन के बाद कामरान खान गुमनामी के अंधेरों में खो गए।
इस लिस्ट में बिस्ला का नाम भी शुमार है। बिस्ला का ड्रीम सीजन आईपीएल 2012 था। उन्होंने चेन्नई के खिलाफ फाइनल मुकाबले में 48 गेंदों पर 89 रन बनाकर केकेआर को ट्रॉफी जिताई थी। लेकिन इसके बाद बिस्ला का बल्ला खामोश ही रहा।
राहुल शर्मा एक स्पिन गेंदबाज थे। आईपीएल 2011 में उन्होंने पुणे वॉरियर्स के लिए खेलना शुरू किया। सचिन तेंदुलकर को आउट करके राहुल ने उम्मीदें और ज्यादा बढ़ा दीं। उन्होंने उस सीजन में 13 विकेट लिए और टीम इंडिया में जगह बनाई। लेकिन एक ड्रग्स पार्टी में पकड़े जाने के बाद उनका करियर खत्म हो गया।
अब उस खिलाड़ी का नाम, जिसने आईपीएल में तूफान खड़ा कर दिया था। पंजाब के लिए खेलते हुए वॉल्थाटी ने 2011 के सीजन में 63 गेंदों पर 120 रन बना डाले। ओवरऑल वह उस सीजन में छठवें सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे। लेकिन उसके बाद उनका बल्ला कभी चला ही नहीं।