HIV positive भी कर सकेंगे अंग दान, जानिए कहां हुए ऐसा किडनी ट्रांसप्लांट
आज के समय मे चिकित्सा विज्ञान ने बहुत प्रगति कर ली है। इसके तहत मेडिकल पद्धति में पहली बार एक एचआईवी पॉजिटिव डोनर ने अपनी किडनी देकर एक अन्य एचआईवी पीड़ित की जान बचाई। जॉन होपकिन्स अस्पताल के...
Aparajitajohn hopkins hospital
आज के समय मे चिकित्सा विज्ञान ने बहुत प्रगति कर ली है। इसके तहत मेडिकल पद्धति में पहली बार एक एचआईवी पॉजिटिव डोनर ने अपनी किडनी देकर एक अन्य एचआईवी पीड़ित की जान बचाई। जॉन होपकिन्स अस्पताल के डॉक्टरों ने पहली बार एक एचआईवी पीड़िता द्वारा दी गई किडनी को एक अन्य एचआईवी पीड़ित में प्रत्यारोपित किया है। डॉक्टरों ने कहा कि इससे एचआईवी पीड़ितों के लिए अंगों के पूल में वृद्धि होगी और एचआई वी पीड़ितों के प्रति समाज का नजरिया भी बदलेगा।
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एचआईवी प्राण घातक नहीं : डॉक्टरों ने बताया कि एचआईवी प्राण घातक नहीं है। 1981 में एड्स से मरीजों की मौत के मामले बढ़ गए थे लेकिन अब इसकी दवाइयां उपलब्ध होने से यह प्राण घातक नहीं रहा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2030 तक एचआईवी की समस्या को दूर करने का लक्ष्य तय किया है। हालांकि, इसके बावजूद एचआईवी को लेकर सामाजिक परेशानियां कम नहीं हो रही हैं।
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नीना ने सुनाई कहानी : नीना ने कहा कि समाज मुझे ऐसे व्यक्ति के रूप में देखता है जो सिर्फ मौत दे सकता है, लेकिन मैं दुनिया को दिखाना चाहती थी की मैं किसी को जिंदगी भी दे सकती हूं। नीना को बचपन में संक्रमित खून चढ़ाए जाने से एचआईवी संक्रमण हुआ था। नीना ने होपकिन्स की न्यूज कॉन्फ्रेंस में कहा कि वो बहुत अच्छा महसूस कर रही हैं और अक्टूबर में होने वाले वाशिंगटन मैराथन में हिस्सा लेने के लिए ट्रेनिंग करेंगी।
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बेहतर हुई जिंदगी : जॉन होपकिन्स यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंस के प्रोफेसर डोरी सेजव ने कहा कि एचआईवी पॉजिटिव लोग रक्तदान नहीं कर सकते लेकिन वो अब किडनी दान कर सकते हैं। डोरी और उनकी टीम ने नीना की बाईं किडनी का ऑपरेशन कर उसे निकाला और दूसरे मरीज में प्रत्यारोपित किया। डोरी ने कहा कि 30 साल पहले जिस बीमारी को मौत का कारण माना जाता था, अब उसके साथ लोग बेहद स्वस्थ जिंदगी व्यतीत कर सकते हैं। 2016 से लेकर अभी तक अमेरिका में 116 मृत एचआईवी डोनर के अंगों को प्रत्यारोपण के लिए इस्तेमाल किया जा चुका है। 2016 में इसको लेकर कानून बनाया गया था।
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किडनी दान करने से नहीं पड़ता फर्क : डॉक्टरों ने बताया कि अभी तक माना जाता था कि एचआईवी मरीज के किडनी दान करने से उनकी दूसरी किडनी में संक्रमण हो सकता है और वो जल्दी खराब हो सकती है। लेकिन, 2017 में होपकिन्स के शोधकर्ताओं ने 42 हजार लोगों पर किए गए एक शोध में बताया कि एक एचआईवी पॉजिटिव डोनर से किडनी लेने पर उनकी दूसरी किडनी में खराबी होने का खतरा सामान्य लोगों के जैसा ही होता है।
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नीना को नहीं होगी कोई तकलीफ : डॉक्टर नीरज देसाई, जिन्होंने किडनी प्रत्यारोपित की, ने बताया कि नीना जैसे एचआईवी पॉजिटिव डोनर को भविष्य में कोई तकलीफ नहीं होगी। उन्होंने बताया कि इस किडनी की बदौलत दूसरा मरीज 20 से 40 साल तक आराम से जिंदगी काट सकेगा। उन्होंने बताया कि नीना और किडनी लेने वाले को एचआइवी के मेडिकेशन में रखा जाएगा और लगातार उनकी निगरानी की जाएगी।
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कौन है नीना मार्टिनेज 35 वर्षीय किडनी डोनर नीना मार्टिनेज एक पब्लिक हेल्थ कंसल्टेंट हैं। 1983 में छह वर्ष की उम्र के दौरान नीना को खून चढ़ाया गया था, जिसकी वजह से उन्हें एचआईवी का संक्रमण हुआ। नीना ने कहा कि समाज मुझे ऐसे व्यक्ति के रूप में देखता है, जो सिर्फ मौत दे सकता है। लेकिन मैं दुनिया को दिखाना चाहती थी कि मैं किसी को जिंदगी भी दे सकती हूं। उन्होंने कहा, मैं चाहती हूं कि पूरी दुनिया यह बात जानें की एचआईवी के साथ जीना कैसा होता है। नीना ने कहा कि उन्हें किडनी दान कर काफी अच्छा लग रहा है।