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कैंसर: इस तरह पहचान सकेंगे ट्यूमर को, हो सकते हैं ये लक्षण

ट्यूमर का नाम सुनते ही दिमाग में कैंसर के खतरे की जैसे घंटियां बजने लगती हैं। यह बात अलग है कि हर ट्यूमर कैंसर का संकेत नहीं होता। जरूरत इस बात की है कि हम ट्यूमर के उस रूप को पहचानें, जो खतरे का...

Anuradha
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ट्यूमर का नाम सुनते ही दिमाग में कैंसर के खतरे की जैसे घंटियां बजने लगती हैं। यह बात अलग है कि हर ट्यूमर कैंसर का संकेत नहीं होता। जरूरत इस बात की है कि हम ट्यूमर के उस रूप को पहचानें, जो खतरे का संकेत हो सकता है। जानकारी दे रही हैं इंद्रेशा समीर हमारा शरीर अरबों कोशिकाओं का जाल है। पुरानी कोशिकाओं के मृत होने और नई कोशिकाओं के बनने की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। यदि किसी वजह से कोशिकाओं की इस सामान्य प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो जाए और इनकी वृद्धि असामान्य हो जाए, तो ये शरीर में गांठ के रूप में उभरने लगती हैं। इसी स्थिति को हम ट्यूमर कहते हैं। ट्यूमर असामान्य कोशिकाओं का समूह है। शरीर के किसी हिस्से की किसी कोशिका से इसकी शुरुआत हो सकती है। चिकित्सकीय भाषा में इसे नियोप्लाज्म भी कहा जाता है। यानी ऊतकों का ऐसा जमाव, जो ठोस या द्रव से भरा हो सकता है।

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cancer tumor

हो सकते हैं ये लक्षण ट्यूमर कैंसरकारक हों या बिना कैंसर वाले, अगर उनका आकार बड़ा होता है, तो कुछ-न-कुछ लक्षण अवश्य उभरते हैं। ’ भूख में कमी। ’ वजन कम होना। ’ ठंड महसूस होना। ’ थकान। ’ दर्द होना। ’ रात को पसीना आना। ’ आक्रांत हिस्से में दबाव महसूस करना। ’ कुछ ट्यूमरों में त्वचा का रंग बदलना।

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tumor

क्या हैं कारण ’ आनुवंशिक वजहों से ट्यूमर विकसित हो सकता है। ’ प्रदूषण, आहार-विहार आदि के परिणाम स्वरूप ट्यूमर विकसित हो सकता है। ’ धूम्रपान तथा सूर्य की रोशनी में बहुत ज्यादा रहना भी कारण बन सकता है। ’ कई तरह के ट्यूमरों के पीछे के कारण अभी तक समझे नहीं जा सके हैं।

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कब जाएं डॉक्टर के पास शरीर में कहीं कोई गांठ या अवांछित वृद्धि दिखाई दे, तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए। ट्यूमर खतरनाक है या नहीं, इसकी पहचान समय रहते हो जाए, तो इलाज आसान है। ट्यूमर साधारण है या कैंसरकारक, इसके निदान के लिए सैंपल लेकर प्रयोगशाला में जांच की जाती है। एक्सिसनल बॉयोप्सी, कोर बॉयोप्सी तथा नीडल एस्पिरेशन बॉयोप्सी द्वारा ट्यूमर की सही प्रकृति का पता लगाया जाता है। इसके अलावा सीटी स्कैन, ब्लड टेस्ट, एमआरआई और एक्स-रे जैसे परीक्षणों की भी जरूरत पड़ सकती है।

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.ताकि न हो ट्यूमर ’ संतुलित आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। खनिज तत्त्व और एंटी ऑक्सिडेंट कोशिकाओं को स्वस्थ रखते हैं। ’ फल और हरी सब्जियां लें। ’ व्यायाम और योगासन को दिनचर्या का अंग बनाएं। ’ कपालभाति और अनुलोम-विलोम प्राणायाम 20 से 30 मिनट नियमित करने से कई तरह के ट्यूमर में लाभ होता है। ’ धूम्रपान, तंबाकू आदि से बचें। ’ कई शोधों के अनुसार, हल्दी का चूर्ण आधे चम्मच की मात्रा में नियमित सेवन करने से कैंसर के ट्यूमर विकसित होने की आशंका पर लगाम लगती है। कच्ची हल्दी पीसकर एक चम्मच प्रतिदिन सेवन करें, तो और भी अच्छा है। ’ फाइबर वाली चीजें पर्याप्त मात्रा में लें। ’ पानी खूब पिएं। ’ देशी गाय का घी और अच्छी गुणवत्ता का तेल आहार में उचित मात्रा में शामिल करें। ’ शरीर की नियमित तेल मालिश त्वचा पर गांठ बनने से रोकती है। ’ विटामिन-सी उचित मात्रा में सेवन करते रहने से कैंसर ट्यूमर के इलाज के दौरान ट्यूमर समाप्त करने में आसानी होती है।

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ट्यूमर हो जाए तो... कई तरह के ट्यूमर एलोपैथी में शल्य चिकित्सा करके आसानी से निकाल दिए जाते हैं। कैंसरकारक ट्यूमर का यदि समय रहते पता चल जाए, तो इलाज काफी आसान हो जाता है। ऐसी भी तकनीकें विकसित हो रही हैं कि महज कुछ घंटों में कैंसर की गांठों को निकाला जा सके। हालांकि एक स्थिति के बाद कैंसर आज भी लाइलाज है। अच्छी बात है कि कई तरह के ट्यूमर का होम्योपैथी विधि से सफल इलाज किया जा सकता है। होम्योपैथी डॉक्टरों के अनुसार, अधिकतर ट्यूमर होम्योपैथी दवाओं की सहायता से ठीक हो सकते हैं। ट्यूमर को तीन समूहों में बांटा जाता है बिनाइन इस समूह के ज्यादातर ट्यूमर सौम्य प्रकृति के होते हैं। सेहत को इनसे कोई नुकसान नहीं होता। यदि ऑपरेशन करके इन्हें निकाल दिया जाय, तो आमतौर दुबारा वापस नहीं आते। इन्हें नॉन कैंसरस ट्यूमर कहा जाता है। शरीर के विभिन्न हिस्सों में इस तरह के मस्से और गांठें आम बात हैं। प्रिमेलिग्नेंट इस समूह के ट्यूमर सामान्यत: कैंसरकारक नहीं होते, पर कालांतर में यदि इनका उपचार न किया जाय, तो कैंसर की आशंका पैदा कर सकते हैं। ऐसे ट्यूमरों में एक्टिनिक केराटॉसिस त्वचा पर मोटी पपड़ी के रूप में विकसित होता है। सूर्य की तेज रोशनी में ज्यादा रहने वाले गोरी चमड़ी वाले लोगों में इसके विकसित होने की आशंका ज्यादा होती है। सर्वाइकल, फेफड़े आदि में इसकी आशंका अधिक होती है। मेलिग्नेंट यह घातक किस्म का ट्यूमर है। इसकी कोशिकाएं काफी अनियंत्रित तरीके से विभाजित होती हैं और यह ट्यूमर बहुत तेजी से फैलता है। जब ऐसा ट्यूमर शरीर के किसी एक हिस्से से शुरू होकर किसी नए हिस्से में फैलता है, तो उसे मेटास्टेटिस कैंसर कहा जाता है। मौत का सबसे बड़ा कारण इसी प्रकार का ट्यूमर होता है। इस तरह के ट्यूमर की खासियत होती है कि भले ही फेफड़े का कैंसर लिवर तक फैले, पर लिवर में अनियंत्रित वृद्धि करने वाली कोशिकाएं भी फेफड़े वाली ही होती हैं। हमारे विशेषज्ञ डॉ. राजीव रंजन, सर गंगाराम हॉस्पिटल, डॉ. यू. पटेल, होम्योपैथ, अंबेडकर नगर (उ. प्र.)

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