बिहार के इन सूर्य मंदिरों से जुड़ी हैं अनेक पौराणिक कथाएं
बिहार के औरंगाबाद जिले के देव में विश्व विख्यात सूर्य मंदिर का निर्माण त्रेतायुग में राजा ऐल ने किया...
Malayबिहार के औरंगाबाद जिले के देव में विश्व विख्यात सूर्य मंदिर का निर्माण त्रेतायुग में राजा ऐल ने किया था। देव में बिहार के अलावा झारखंड, यूपी मध्य प्रदेश, दिल्ली से लोग यहां छठ करने आते हैं। यहां सूर्य मंदिर के गर्भ गृह में तीन देवताओं की मूर्तियां हैं, जिनके दर्शन यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु करते हैं। छठ के दौरान यहां पूजा करने का विशेष महत्व है।
संबंधित फोटो गैलरी
लोक आस्था के महापर्व छठ पर सूर्योपासना की पुरातन परंपरा है। उसमें भी सूर्य मंदिरों के सरोवर में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। इन्हीं मंदिरों में रामपुर प्रखंड के अकोढ़ी गांव का सरोवर व सूर्य मंदिर है। यह इस प्रखंड का एकलौता सूर्य देव मंदिर है, जहां के घाट पर छठ व्रतियों व उनके परिजनों की भीड़ उमड़ती है।
-
राजपुर के देवढ़िया गांव स्थित सूर्य मंदिर छठ के साथ-साथ सालोंभर पूजा और अराधना का केन्द्र है। साल में दो बार कार्तिक व चैत्र में छठ के समय यहां पर भारी भीड़ जुटती है। इस मंदिर की पौराणिकता और प्राचीनता को लेकर यहां के बुजुर्ग भी बताते हैं कि इस मंदिर में सूर्य के साथ - साथ पांच अन्य देवताओं की प्राचीन मूर्तियां हैं।
गड़खा बाजार में स्थित जिले का दूसरा सूर्य मंदिर अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। सूर्य देवता के रथ के आकार में बनाया गया यह सूर्य मंदिर छठ व्रतियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। गंडकी नदी के किनारे बना यह मंदिर सूर्य देव के रूप में निर्मित है और इसे सात घोड़ों से खींचे जाते सूर्य देव के रथ के रूप में दिखाया गया है।
वारिसलीगंज का सूर्य मंदिर परिसर छठ व्रतियों के स्वागत के लिए तैयार है। आध्यात्मिक विचारधारा वाले लोग वैसे तो यहां सालों भर आते हैं और तालाब में स्नानादि कर सूर्यदेव और भगवान शंकर समेत माता गायत्री की पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन छठ महापर्व पर भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना के लिए यहां तो जैसे आसपास का सारा इलाका ही उमड़ पड़ता है।