यह है कलश विसर्जन और व्रत का परायण का सही तरीका, पढ़ें अष्टमी-नवमी का शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और नवमी को लेकर किसी भी प्रकार का विभेद नहीं है। अष्टमी तिथि मंगलवार को सवेरे 10.16 बजे से...
AnuradhaAshtami 2018, Ashtami 2018, Durga Ashtami When is 2018, Durga Ashtami Navami, Durga Puja When is 201
शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और नवमी को लेकर किसी भी प्रकार का विभेद नहीं है। अष्टमी तिथि मंगलवार को सवेरे 10.16 बजे से लग गई है। यह बुधवार को दोपहर 12.50 बजे तक रहेगी। अष्टमी तिथि से व्रत का परायण करने वाले इस समय तक कन्या पूजन करके व्रत खोल सकते हैं। नवमी तिथि 18 अक्तूबर को अपराह्न 3.29 बजे तक है।
संबंधित फोटो गैलरी
Navratri
कलश का जल पहले अपने अपने ऊपर छिड़कें और फिर घर के अन्य सदस्यों पर। कलश का जल घर के चारों कोनों पर छिड़कें और अपनी मनोकामना करते रहें। कलश में पड़े सिक्के को तिजोरी में रखें और जल तुलसी या किसी फूल वाले गमले में चढा दें। कलश पर बंधा कलावा बाजू या गले में धारण कर सकते हैं ( यह कवच का काम करेगा)। कलश पर रखा नारियल अपनी पत्नी और बहन की गोद में ही रखें।
Happy Navratri 2018 wishes images quotes whatsapp status and whatsapp dp Statu
मां से लिया गया नारियल पुण्य प्रतापी होता है। अष्टमी के व्रत का परायण करने वाले जातक बुधवार को करेंगे। नवमी तिथि बृहस्पतिवार और विजयदशमी शुक्रवार को है। कन्या पूजन में दो साल से दस साल तक की कन्याओं को ही भोग लगाने का विधान है। एक साल से कम की कन्या को जिमाने से मना किया गया है क्यों कि वह स्वाद को अभिव्यक्त नहीं कर सकता। अभिव्यक्ति इसमें महत्वपूर्ण है। कन्याओं में से किसी एक को मां दुर्गा का स्वरूप मानते हुए उनका विशिष्ट पूजन करें। शाम को मंदिर में जाकर मां भगवती को प्रसाद और श्रृंगार अर्पित करें।