हिंदू धर्म में सूर्य देव को अर्घ्य देना अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि सूर्य देव को नियमित रूप से जल अर्पित करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, मानसिक शांति मिलती है, आत्मविश्वास बढ़ता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव को जल चढ़ाने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और व्यक्ति को मान-सम्मान मिलता है। लेकिन सूर्य देव को जल अर्पित करने के कुछ नियम हैं, जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी होता है। जानें वास्तु एक्सपर्ट मुकुल रस्तोगी से सूर्य को अर्घ्य देने के नियम-
वास्तु एक्सपर्ट मुकुल रस्तोगी के अनुसार, सूर्य को जल पूर्व दिशा की ओर मुख करके चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि सूर्य देव को जल अर्पित करने से पापों का नाश होता है और धन लाभ के रास्ते खुलते हैं।
सूर्य को जल तांबे के लोटे से चढ़ाना चाहिए। रविवार के दिन सूर्य को जल अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि सूर्य देव को जल अर्पित करने से मन शांत होता है और जीवन में स्थिरता आती है।
सूर्य देव को अर्पित करने वाले जल में थोड़ी चीनी या गुड़, थोड़े चावल, लाल रोली या कुमकुम डालना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
सूर्य देव को जल सूर्योदय के एक घंटे के अंदर चढ़ाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से जीवन की विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं और मन शांत होता है। सूर्य देव को जल अर्पित करते समय ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ होता है।
सूर्य देव को जल चढ़ाते समय पैरों में जूते या चप्पल नहीं होने चाहिए। जल की छींटें कभी भी आपके पैरों पर नहीं पड़नी चाहिए। हमेशा अपने सिर से ऊपर करके ही जल चढ़ाना चाहिए।