वास्तु शास्त्र में टपकता नल अशुभ माना जाता है। यह ना केवल पानी की बर्बादी करता है, बल्कि धन और सकारात्मक ऊर्जा के नुकसान का प्रतीक भी है। किचन में टपकता नल परिवार में आर्थिक तंगी और तनाव को बढ़ा सकता है। ऐसे में नल को तुरंत ठीक करें और सुनिश्चित करें कि किचन में पानी का रिसाव ना हो।
किचन में उल्टे रखे बर्तन वास्तु दोष को बढ़ाते हैं। यह परिवार में अशांति, झगड़े और मानसिक तनाव का कारण बन सकता है। वास्तु के अनुसार, बर्तनों को हमेशा सीधा और व्यवस्थित रखना चाहिए। वास्तु दोष से बचने के लिए किचन को अव्यवस्थित ना होने दें।
किचन में कचरा या गंदगी जमा होना वास्तु दोष को आमंत्रित करता है। यह नेगेटिविटी को बढ़ाता है और परिवार के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। गंदा किचन धन हानि का भी प्रतीक है। वास्तु दोष से बचने के लिए किचन को साफ-सुथरा और हवादार बनाए रखें।
वास्तु शास्त्र में किचन का स्टोव (गैस या चूल्हा) अग्नि तत्व का प्रतीक है। इसे गलत दिशा (जैसे उत्तर-पूर्व) में रखने से वास्तु दोष उत्पन्न होता है, जो परिवार में तनाव और स्वास्थ्य समस्याएं ला सकता है। स्टोव को दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) में रखें।
टूटे-फूटे या चटके हुए बर्तनों का उपयोग वास्तु दोष को बढ़ाता है। ये नेगेटिविटी को आकर्षित करते हैं और घर की समृद्धि में बाधा डालते हैं। किचन से टूटे बर्तनों को तुरंत हटाएं और केवल साफ, मजबूत बर्तनों का उपयोग करें।
वास्तु के अनुसार, किचन में गहरे रंग (जैसे काला या गहरा नीला) नेगेटिविटी को बढ़ाते हैं। ये रंग तनाव और अशांति का कारण बन सकते हैं। ऐसे में किचन में हल्के और गर्म रंगों (जैसे सफेद, हल्का पीला, या हल्का हरा) का उपयोग करें।
किचन में छोटी-छोटी गलतियां, जैसे टपकता नल, उल्टे बर्तन, कचरा, गलत दिशा में स्टोव और टूटे बर्तन, वास्तु दोष को बढ़ाते हैं। ये परिवार की शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि को प्रभावित करते हैं। इन गलतियों को सुधारकर और वास्तु के नियमों का पालन करके आप अपने किचन को सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बना सकते हैं।