भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) ने देश को कई ईमानदार अधिकारी दिए हैं। हालांकि इसी सेवा से आने वाले कई अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। हाल ही में बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी संजीव हंस को भी ऐसे ही आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। आइए हम आपको ऐसे 10 अधिकारियों से आपको मिलवाते हैं जिनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।
उत्तर प्रदेश और NCR में भूमि घोटालों की आरोपी नीरा यादव पर राजनेताओं और व्यापारियों को महंगे इलाकों में भूमि आवंटित करने के आरोप हैं। उन्हें 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा भ्रष्टाचार और अनुपातहीन संपत्तियों के आरोप में दोषी ठहराया गया और दो साल की सजा सुनाई गई।
बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी संजीव हंस पर ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। ईडी ने आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया। संजीव हंस को अक्टूबर 2024 में निलंबित किया गया। वह इन दिनों जेल में बंद हैं।
झारखंड कैडर की 2000 बैच की IAS अधिकारी पूजा सिंघल ने खूब सुर्खियां बटोरीं। उन्हें ED ने MGNREGA फंडों की गड़बड़ी के मामले में गिरफ्तार किया। उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट ने दावा किया कि छापे के दौरान जब्त की गई नकद राशि उन्हीं की थी।
समीर विश्वनोई 2009 बैच के IAS अधिकारी हैं। छत्तीसगढ़ में खनन संचालन के लिए रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तारी के बाद चर्चा में आए। उनके निर्देश पर में खनिजों की ढुलाई के लिए मैन्युअल अनुमोदन प्रक्रिया को फिर से शुरू किया गया, जिससे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। आरोप है कि 16 महीने की अवधि में 500 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत ली गई।
के राजेश 2011 बैच के IAS अधिकारी हैं। CBI ने रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया। आरोप था कि उन्होंने बंदूक लाइसेंस जारी करने के बदले रिश्वत ली थी और भूमि सौदों में भी संलिप्त थे।
छत्तीसगढ़ के राज्य कृषि सचिव बाबूलाल अग्रवाल के खिलाफ आयकर विभाग के छापों में 500 करोड़ से अधिक की संपत्ति पाई गई, जिसमें 446 बेनामी बैंक खातों और 16 शेल कंपनियों का संचालन शामिल था।
टीओ सूरज पर सांप्रदायिक दंगे भड़काने और भूमि हड़पने का आरोप था। विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा की गई छापेमारी में उनके पास से 30 करोड़ की संपत्ति और 20 लाख की नकद राशि पाई गई।
राकेश बहादुर 2009 में नोएडा में 4000 करोड़ के भूमि घोटाले में आरोपी थे। हालांकि, राज्य सरकार में बदलाव के बाद उन्हें नोएडा विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में फिर से बहाल कर दिया गया।
राजस्थान के एंटी करप्शन ब्यूरो ने आईएएस अधिकारी आशोक सिंहवी को 2.55 करोड़ की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। यह रिश्वत बंद खदानों को फिर से खोलने के बदले ली गई थी।
तमिलनाडु कैडर की आईएएस अधिकारी एस मल्लारिविजी को धर्मपुरी जिले के जिला कलेक्टर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा। आरोप है कि उन्होंने एक आपराधिक साजिश में शामिल होकर सरकारी फंड से ₹1.31 करोड़ की अवैध तरीके से निकासी की।