देवउठनी एकादशी
हिंदू मान्यता के अनुसार दिवाली के बाद आने वाली कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी पर श्रीहरि जाग जाते हैं। इस एकादशी को देवउठनी और देव प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। इसी दिन से मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं। इस एकादशी पर कहा जाता है कि देव अपने दरवाजे खोल देते हैं। देवउठनी एकादशी को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है।
इस एकादशी के बारे में कहा जाता है कि इसका उपवास कर लेने से हजार अश्वमेघ एवं सौ राजसूय यज्ञ का फल मिलता है। पितृदोष से पीडि़त लोगों को अपने पितरों के लिए यह व्रत जरूर करना चाहिए। इस एकादशी पर तुलसी का विवाह भी होता है। ऐसा माना जाता है कि ये अच्छा योग होता है, विवाहों में जो भी अड़चनें होती हैं, वो दूर हो जाती हैं और विवाह के लिए अच्छा योग बन जाता है।