ओडिशा के आदिवासी बहुल मयूरभंज जिले में कम से कम 200 स्थानीय ग्रामीणों के साथ बीजू जनता दल की एक विधायक ने लगभग 7 किमी तक पैदल यात्चरा की। असल में हाथियों के झुंड से हुए नुकसान को देखने के लिए विधायक बसंती हेम्ब्रम ने गांव वालों के साथ पैदल चलकर मौके पर हालात का जायजा लिया। 24 हाथियों के झुंड ने गांव वालों का जीवन दुभर किया हुआ था।
करंजिया विधायक बसंती हेम्ब्रम शुक्रवार को सुबह जिला मुख्यालय शहर बरीपाड़ा के लिए जा रही थीं, उसी समय बिरुरिया, नकुड़माता, कुंजिया और ततो के 4-5 गांवों के लगभग 200 से अधिक लोगों ने उनकी गाड़ी को रोक दिया। गांव वालों ने सुबह से ही रांची से विजयवाड़ा को तातो छक से जोड़ने वाले एनएच 200 की घेराबंदी कर ली थी. हाथियों के झुंड ने उनके धान के खेतों के साथ-साथ घरों को भी नुकसान पहुंचाया था, जिसके मुआवजे के लिए वो हाईवे तक आए।
गांव की एक महिला नमिता नाइक ने कहा, "हम पिछले 4-5 महीनों से हाथियों के उत्पीड़न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और (हम) ने दुधियानी में स्थानीय वन रेंज कार्यालय को घेरा, साथ ही साथ हाथी के खतरे को भी खत्म करने की मांग की थी। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। जब हमने विधायक को देखा तो पास से गुजरते हुए, हमने उसे हमारी मुश्किलों को देखने के लिए कहा। सौभाग्य से, वह हमारे साथ जाने को तैयार हो गई।"
विधायक इसके बाद ग्रामीणों के साथ झारखंड से आने वाले हाथी के झुंड द्वारा किए गए नुकसान को देखने के लिए लगभग 7 किमी दूर पैदल चलकर कदमुदा गांव पहुंचीं। वहां उन्होंने कहा, "किसी ने मुझे गाँव चलने के लिए मजबूर नहीं किया। जब मैंने विरोध करने वाले ग्रामीणों को देखा, तो मैं उनकी शिकायतों को सुनने के लिए अपने वाहन से नीचे उतर गई। उनकी शिकायतें वास्तविक हैं। वन विभाग के अधिकारियों को उनकी मांगों के प्रति थोड़ा अधिक संवेदनशील होना चाहिए था।"
विधायक ने कहा कि हाथियों के झुंड में धान के साथ-साथ ग्रामीणों को भी परेशान किया गया। हाथियों के झुंड ने एक स्थानीय मंदिर को भी नुकसान पहुंचाया था। वो कहती हैं, “मैंने स्थानीय वन अधिकारियों के साथ चर्चा की कि आज रात झुंड को कैसे हटाया जाए ताकि ग्रामीणों को बचाया जा सके। मैंने स्थानीय वन अधिकारियों से शीघ्र मुआवजे के लिए भी बात की है।
खनन और तेजी से हुए औद्योगिकीकरण के कारण हाथियों के गलियारों में आने के साथ, ओडिशा में पिछले 3-4 वर्षों में मानव-हाथी संघर्ष तेजी से बढ़ा है। अधिक से अधिक हाथी भोजन के लिए मानव बस्तियों में भटक रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप दिक्कतें पैदा होती हैं।