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बचपन में पुलिस से छिपकर भागना पड़ता था 

लोहानी का परिवार ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर की एक मलिन बस्ती में रहता था। ऐसी बस्ती, जहां पानी, सफाई, अस्पताल जैसी बुनियादी चीजों की भारी कमी थी। हालांकि लोहानी तब इतनी छोटी थीं कि उन्हें इन...

बचपन में पुलिस से छिपकर भागना पड़ता था 
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 02 Jul 2016 11:37 PM
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लोहानी का परिवार ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर की एक मलिन बस्ती में रहता था। ऐसी बस्ती, जहां पानी, सफाई, अस्पताल जैसी बुनियादी चीजों की भारी कमी थी। हालांकि लोहानी तब इतनी छोटी थीं कि उन्हें इन दिक्कतों का खास एहसास नहीं था। बड़ी बहन लुआना के संग उनकी खूब बनती थी। लुआना उनसे दो साल बड़ी थीं। उनका पूरा वक्त मां और बड़ी बहन के साथ बीतता था। पापा कभी दिन में घर पर नहीं होते थे। शायद उनके पास बेटियों का हालचाल पूछने का भी वक्त नहीं था। अक्सर वह रात के अंधेरे में घर आते थे और सुबह बेटियों को सोता हुआ छोड़कर निकल जाते थे।

लोहानी का बचपन खुशनुमा नहीं रहा। मां हमेशा खौफ में रहती थीं। पड़ोस के लोगों से कभी घुलना-मिलना नहीं हो पाता। परिवार में अजीब-सा माहौल था। अक्सर घर बदलना पड़ता था। अचानक घर मेंअफरा-तरफरी मचती, मां सामान समेटतीं और बेटियों को लेकर निकल पड़तीं नए ठिकाने की ओर। लोहानी उस समय चार साल की रही होंगी। तब वह नहीं जानती थीं कि उनके पिता क्या काम करते हैं? कई-कई दिनों तक वह घर क्यों नहीं आते? यह भी समझ में नहीं आता था कि मां अक्सर घर क्यों बदलती रहती हैं? उनके पिता ड्रग्स का धंधा करते थे। पुलिस हमेशा उनके पीछे पड़ी रहती। पुलिस के डर से ही मां बेटियों के संग इधर-उधर छिपती रहती थीं। वह पुलिस को लाख सफाई देतीं कि उन्हें अपने पति के गलत धंधे के बारे में कुछ भी नहीं पता, मगर पुलिस उनकी एक नहीं सुनती। जब कभी पुलिस वाले घर का दरवाजा खटखटाते, तो मां दोनों बेटियों को आंचल में छिपाकर पीछे कमरे में दुबक जातीं।

तब नन्ही लोहानी को यह भी नहीं पता था कि यह सब क्यों हो रहा, पर वह इतना जरूर समझने लगी थी कि कुछ बुरा होने वाला है। कई बार तो वह डर के मारे रोने लगती थी। हर दिन दहशत में बीत रहा था। मां अपनी बेटियों को स्कूल भेजना चाहती थीं, पर हालात ही कुछ ऐसे थे कि यह मुमकिन न था। यह बात 2001 की है। तब लोहानी चार साल की थीं और बड़ी बहन लुआना छह वर्ष की। एक दिन मां को खबर मिली कि पुलिस ने उनके पति को मुठभेड़ में मार गिराया है। जाहिर है, पति की मौत की खबर सुनकर वह खुश तो नहीं हुईं, पर इस बात की राहत जरूर महसूस हुई कि अब पुलिस उन्हें खोजते हुए घर का दरवाजा नहीं खटखटाएगी। अब उन्हें थाने ले जाकर पूछताछ नहीं की जाएगी। मां अतीत के काले साये से अपनी बेटियों को दूर रखना चाहती थीं। वह नहीं चाहती थीं कि लोग उन्हें ड्रग्स डीलर की बेटी के रूप में जानें। इसलिए उन्होंने पुरानी बस्ती को छोड़ने का फै सला किया। नई जिंदगी की तलाश में वह रियो डी जेनेरियो सिटी की फावेला बस्ती में आ गईं। यह वह इलाका है, जहां कभी अश्वेत गुलाम रहा करते थे। यह बहुत बड़ी बस्ती थी, और सबसे अच्छी बात यह थी कि यहां कोई उनके अतीत के बारे में नहीं जानता था।

फावेला में लोहानी और लुआना का नया सफर शुरू हुआ। मां ने दोनों का स्कूल में दाखिला करवा दिया। उन्होंने किसी को अपने अतीत के बारे में नहीं बताया। वह नहीं चाहती थीं कि पिता के बुरे कर्म बेटियों का भविष्य बर्बाद कर दें। कुछ दिनों बाद ही जिंदगी पटरी पर आने लगी। मां काम करने लगीं, बेटियां पढ़ने लगीं। उन्हीं दिनों बस्ती में एक बैडमिंटन कोच ने बच्चों के लिए ट्रेनिंग कैंप लगाया। हालांकि उन दिनों ब्राजील में महिला बैडमिंटन का खास प्रचार नहीं था, पर मां ने तय किया कि दोनों बेटियां बैडमिंटन खेलेंगी। पढ़ाई के साथ खेल की ट्रेनिंग चलती रही। दोनों बहनों ने खूब मेहनत की। कोच को यकीन हो गया कि अगर अच्छी ट्रेनिंग मिले, तो ये दोनों बहनें बेहतरीन खिलाड़ी बन सकती हैं। पहले स्थानीय, फिर प्रांतीय मुकाबलों में दोनों ने कमाल कर दिखाया। उनकी तुलना विलियम्स बहनों से होने लगी। हर तरफ उनकी चर्चा होने लगी। अब मां के सपने पूरे होने लगे थे। लोहानी कहती हैं- किसी चीज को पाने के लिए जरूरी है कि आपके अंदर मजबूत इच्छाशक्ति हो। जब आपके अंदर कुछ कर गुजरने की चाहत होती है, तो मंजिल अपने आप मिल जाती है।

इस समय लोहानी और लुआना ब्राजील की शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ी मानी जाती हैं। डबल्स मैच में दोनों का शानदार प्रदर्शन रहा है। साल 2015 में उन्होंने टोरंटो में आयोजित पैन अमेरिकन गेम डबल्स में रजत पदक जीता। हाल में लोहानी ने ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया है। उन्हें अब रियो डी जेनेरियो में पांच अगस्त से शुरू होने वाले ओलंपिक गेम्स का बेसब्री से इंतजार है। यह वही शहर है, जहां 16 साल पहले पुलिस ने उनके पिता को एनकाउंटर में मार गिराया था। तब वह समय था, जब मां को सबसे अपना परिचय छिपाना पड़ता था। आज वह गर्व से सबको बताती हैं कि किस तरह उनकी बेटी ने पिता के गुनाहों को भूलकर अपनी मेहनत के बल पर नया मुकाम हासिल किया है। लोहानी कहती हैं- मेरा देश पहली बार बैडमिंटन की प्रतिस्पद्र्धा में हिस्सा लेगा। मुझे गर्व है कि ओलंपिक बैडमिंटन में हिस्सा लेने वाली मैं ब्राजील की पहली महिला खिलाड़ी हूं। 
प्रस्तुति: मीना त्रिवेदी
 

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