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रूसी भूमिका की जांच हो

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को रूस डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में झुकाना चाहता था। इस आरोप की पारदर्शी जांच कराने की जरूरत है, ताकि यह पता चल सके...

रूसी भूमिका की जांच हो
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 13 Jan 2017 12:08 AM
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अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को रूस डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में झुकाना चाहता था। इस आरोप की पारदर्शी जांच कराने की जरूरत है, ताकि यह पता चल सके कि आखिर ऐसा कैसे हुआ, और फिर कभी ऐसा होने न पाए। डोनाल्ड ट्रंप को ऐसी जांच का स्वागत करना चाहिए। यह भी महत्वपूर्ण है कि खुफिया एजेंसियों के चौंका देने वाले आरोप का ‘बजफीड’ वेबसाइट के दावों के साथ घालमेल न हो सके। इस वेबसाइट ने भी मंगलवार को रूसी हस्तक्षेप से संबंधित अपुष्ट आरोपों की एक शृंखला जारी की थी। बुधवार को अपने न्यूज कान्फ्रेंस में डोनाल्ड ट्रंप ने बजफीड के आरोपों का जोरदार खंडन किया, हालांकि रूसी हस्तक्षेप के निष्कर्ष को वह चेतावनी के साथ स्वीकारते हुए दिखे थे। बीते शुक्रवार को खुफिया एजेंसियों ने रूसी दखलंदाजी से जुड़ी अपनी पड़ताल के निष्कर्ष जारी किए थे। उन्होंने राष्ट्रपति ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में इस निष्कर्ष तक पहुंचने के तमाम सबूत भी दिए। मंगलवार शाम के अपने प्रसारण में सीएनएन  ने यह खबर दी थी कि खुफिया अधिकारियों ने राष्ट्रपति ओबामा और ट्रंप को दो पन्नों का एक दस्तावेज भी सौंपा, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप को प्रभावित करने की रूसी कोशिशों से जुड़ी अफवाहों की चर्चा है। उसके बाद बजफीड ने एक ज्ञापन प्रकाशित किया, जो वाशिंगटन में बड़े पैमाने पर बांटा गया है। इस ज्ञापन में दावा किया गया है कि रूसी खुफिया अधिकारियों ने डोनाल्ड ट्रंप का एक आपत्तिजनक वीडियो बना रखा है, जिसे लेकर वे गोपनीय रूप से ट्रंप के प्रतिनिधियों से मिले थे। अन्य न्यूज संगठन ने इस दावे के पक्ष में ठोस सबूत न होने के कारण इस खबर से अपनी दूरी बनाए रखी। ट्रंप ने ट्वीट करके बजफीड की खबर का नाराजगी भरे लहजे में खंडन किया है। लेकिन उन्होंने खुफिया एजेंसियों के निष्कर्षों को एक हद तक माना है कि रूस ने दखल देने की कोशिश की। रूस ने डेमोके्रटिक पार्टी के ईमेल अकाउंट को हैक करके व फोन के जरिये खबरें प्रसारित कर हस्तक्षेप किया था। इसलिए इसकी गंभीर व पारदर्शी जांच अब जरूरी है।
द वाशिंगटन पोस्ट, अमेरिका 

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