सानिया ऐसे ही नहीं बनती
ताजा विंबलडन टूर्नामेंट के वीमेंस डबल्स चैंपियनशिप में हिन्दुस्तान की सानिया मिर्जा की बेहतरीन जीत एशियाई महिला खिलाडि़यों के लिए फख्र की घड़ी होनी चाहिए। सानिया उन महिला खिलाडि़यों में शुमार हैं, जो...
ताजा विंबलडन टूर्नामेंट के वीमेंस डबल्स चैंपियनशिप में हिन्दुस्तान की सानिया मिर्जा की बेहतरीन जीत एशियाई महिला खिलाडि़यों के लिए फख्र की घड़ी होनी चाहिए। सानिया उन महिला खिलाडि़यों में शुमार हैं, जो अंतरराष्ट्रीय खेलों में अपने पुरुष समकक्षों के साथ नाम दर्ज करा रही हैं। सानिया मिर्जा के लिए यह ग्रैंड स्लैम उनके सिर पर एक और ताज है। इसके पहले वह यूएस ओपन, फ्रेंच ओपन और ऑस्ट्रेलियन ओपन में कामयाब रही हैं। यह गौरतलब है कि स्विट्जरलैंड की मार्टिना हिंगिस के साथ, जो पहले दुनिया की नंबर एक महिला टेनिस खिलाड़ी थीं, उनकी जोड़ी एक नई ऊंचाई पर है। कई खिताबों को अपनी झोली में डालने के अलावा यह इस साल अप्रैल में दुनिया की शीर्ष जोड़ी बन चुकी है। वैसे, टेनिस में सानिया मिर्जा और हिन्दुस्तानी बैडमिंटन क्वीन साइना नेहवाल और मुक्केबाज मैरी कॉम के उभरने के पीछे उन सबकी अपनी मेहनत और काबिलियत ज्यादा है, न कि हिन्दुस्तानी इन्फ्रास्ट्रक्चर, जो काफी हद तक विश्वस्तरीय नहीं है।
पाकिस्तान भी नसीम हामिद, लिआना स्वॉन, पलवाशा बशीर और उस्ना सुहेल पर फख्र कर सकता है, जो क्रमश: एथलेटिक्स, तैराकी, बैडमिंटन और टेनिस में जबर्दस्त खेल दिखाती रही हैं। लेकिन हमारे यहां महिला खिलाडि़यों को हुनर दिखाने के मौके हिन्दुस्तान, श्रीलंका और यहां तक कि नेपाल की तुलना में कम ही मिलते हैं। इसके अलावा, कई तरह की सामाजिक दिक्कतें भी हैं और खिलाडि़यों की ट्रेनिंग से जुड़ी चुनौतियां भी। इन्फ्रास्ट्रक्चर अपनी जगह दुरुस्त होने के बावजूद महिला खिलाड़ी खुद को दलदल में ही पाती हैं, क्योंकि पाकिस्तान में काबिल महिला कोचों की काफी कमी है, जो इन खिलाडि़यों को अंतरराष्ट्रीय उड़ान दे सकें। वैसे, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई महिला पाकिस्तानी खिलाड़ी उभरती रही हैं। इस मामले में हम लंबे-चौड़े इतिहास को सहेजे हुए हैं। मगर कामयाबी की जिस बुलंदी पर आज सानिया मिर्जा हैं, वहां तक पहंुचने के लिए पाकिस्तान की महिला खिलाडि़यों को हमारी हौसलाअफजाई और हुकूमत की सरपरस्ती चाहिए, तभी वे अपना सबसे बढि़या प्रदर्शन मैदान पर दे पाएंगी।
द डॉन, पाकिस्तान