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बोझ नहीं बुढ़ापा

कॉस्मेटिक आइटम बनाने वाली जापानी कंपनी पोला ने हाल ही में 100 साल से अधिक उम्र की एक महिला को नौकरी पर रखा है। यह कंपनी अब तक हजारों ऐसे लोगों को नौकरी पर रख चुकी है, जो 80 और 90 साल की उम्र पार चुके...

बोझ नहीं बुढ़ापा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 25 Sep 2016 08:42 PM
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कॉस्मेटिक आइटम बनाने वाली जापानी कंपनी पोला ने हाल ही में 100 साल से अधिक उम्र की एक महिला को नौकरी पर रखा है। यह कंपनी अब तक हजारों ऐसे लोगों को नौकरी पर रख चुकी है, जो 80 और 90 साल की उम्र पार चुके हैं। दरअसल, यह तेजी से बुढ़ाते जापान के लिए प्रधानमंत्री शिंजो अबे की रणनीति के मुफीद है। 

वह अपने देश की अर्थव्यवस्था के हक में 80 साल से अधिक उम्र के लोगों को उपयोगी बनाना चाहते हैं। और ऐसा करने के लिए जरूरी है कि बुजुर्गीयत को लेकर जो पुराने ख्याल हैं, उनको खारिज किया जाए। पिछले हफ्ते जापानी प्रधानमंत्री न्यूयॉर्क में थे। उनके पास अधेड़ होते मुल्कों के लिए एक पैगाम था- 'जापान भले ही बुढ़ापे की ओर बढ़ रहा हो, भले ही हमारी आबादी घट रही हो, लेकिन ये सब हमारे लिए प्रेरक की तरह हैं। कैसे? क्योंकि हम अपनी उत्पादकता को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रेरित होते रहेंगे।' 

जापान की जनसांख्यिकीय चुनौती को एक 'सिल्वर सुनामी' के तौर पर देखा जाता रहा है। नए आंकड़ों के मुताबिक, जापान की 27.3 फीसदी आबादी की उम्र 65 साल से ऊपर है। यह न सिर्फ रिकॉर्ड स्तर है, बल्कि विकसित देशों में सबसे अधिक है, और साल 2037 तक सिकुड़ती आबादी वाले इस देश में बुजुर्गों की संख्या 38 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी। 

जाहिर है, इससे स्वास्थ्य सेवाओं और पेंशन के मद में खर्च बढ़ेगा, जो पहले से ही ऊच्च राष्ट्रीय कर्ज के लिए और बोझ बनेगा। इस जनसांख्यिकीय बदलाव ने जापान को अपने श्रम नियमों को बदलने और कुछ अनूठे प्रयोग करने के लिए बाध्य किया है।

शिंजो अबे कोशिश कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष श्रमशक्ति का हिस्सा बनें। उद्योगों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे बुजुर्गों के मुफीद नई टेक्नोलॉजी का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें। इसके अलावा, यह माना जा रहा है कि बुजुर्गों की बढ़ती आबादी के पास विवेकाधीन बचत भी अच्छी-खासी होगी, जिनके खर्च से उपभोक्ता बाजार को प्रोत्साहन मिलेगा। अबे के मुताबिक, बुजुर्ग सोसायटी उनके लिए 'बोझ नहीं बोनस' है।   
द क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर, अमेरिका

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