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दर्द में डूबा बगदाद 

अपने मजबूत किले फलूजा से भाग रहे आईएस के दहशतगर्दों ने बगदाद को लहूलुहान कर दिया। इराक की राजधानी में इस साल के सबसे बड़े आतंकी हमले में 120 से भी ज्यादा लोग मारे गए हैं। दहशतगर्दों के निशाने पर शिया...

दर्द में डूबा बगदाद 
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 04 Jul 2016 09:42 PM
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अपने मजबूत किले फलूजा से भाग रहे आईएस के दहशतगर्दों ने बगदाद को लहूलुहान कर दिया। इराक की राजधानी में इस साल के सबसे बड़े आतंकी हमले में 120 से भी ज्यादा लोग मारे गए हैं। दहशतगर्दों के निशाने पर शिया समुदाय के लोग थे। ये बम धमाके शनिवार शाम उस वक्त किए गए, जब लोग रोजा खोलने के बाद सड़क पर निकले थे। यह हत्याकांड इसलिए भी ज्यादा तकलीफदेह है कि रमजान के आखिरी दिनों में, जब खुदा के खिदमतगार ईद की तैयारियों में जुटे थे, उन्हें यह दिन देखना पड़ा है। 

यकीनन, इराक के लोगों के लिए यह ईद शोक में डूबी होगी।आत्मघाती हमले बगदाद के लिए कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन यह हत्याकांड जिस रूप में और जिस बड़े पैमाने पर हुआ है, उसने हुकूमत व तंत्र में लोगों के भरोसे को हिला दिया है। रपटें बता रही हैं कि बगदाद को 1,000 से भी अधिक बार निशाना बनाया गया है, और ज्यादातर बाजार, मजहबी जलसे व इबादतगाह निशाने पर रहे हैं। इन हमलों ने एक बार फिर हिफाजती तंत्र की खामियों और हुकूमत की नाकामी को उजागर किया है, जो बगदाद जैसे भीड़भाड़ वाले शहर की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पा रही हैं, जहां स्थानीय आबादी में दहशतगर्द आसानी से घुल-मिल जाते हैं। सुरक्षा सस्ते में नहीं मिल जाती। 

इसके लिए काफी सारे बंदोबस्त करने पड़ते हैं। जाहिर है, सुरक्षा के साजो-सामान, हिफाजती दस्तों की ट्रेनिंग पर अच्छी-खासी रकम भी खर्च करनी पड़ती है। फिर एक ऐसे मुल्क में, जो भारी भ्रष्टाचार का शिकार हो और सियासी व माली संकट से दो-चार हो, ये सब बड़ी चुनौतियां हैं। इसलिए पहली जरूरत तो यही है कि पहले अपने घर को ठीक किया जाए। और इन चुनौतियों से वजीर-ए-आजम हैदी अल-एबादी को टकराना ही होगा। इसके लिए उन्हें तमाम खित्तों, मजहबी गुटों को अपने भरोसे में लेना पडे़गा। एबादी को अलग-अलग राजनीतिक समूहों में सामंजस्य बिठाने के काम में कतई देरी नहीं करनी चाहिए। चूंकि अपने किले से आईएस के पांव उखड़ रहे हैं, इसलिए आने वाले दिनों में उसके खौफनाक हमलों की रफ्तार बढ़ेगी। ये हमले बता रहे हैं कि दहशतगर्दी से जंग दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।   
 द पेनिन्सुला, कतर

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