पत्रकारों के लिए बुरा साल
कमेटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) के अनुसार, ईरान की जेल में बंद वाशिंगटन पोस्ट के संवाददाता जेसन रेजान पिछले 25 वर्षों में विदेशी धरती पर सबसे अधिक समय तक कैद में रहने वाले अमेरिकी...
कमेटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) के अनुसार, ईरान की जेल में बंद वाशिंगटन पोस्ट के संवाददाता जेसन रेजान पिछले 25 वर्षों में विदेशी धरती पर सबसे अधिक समय तक कैद में रहने वाले अमेरिकी संवाददाता बन गए हैं। बुधवार को उनकी हिरासत की अवधि 527 दिन हो जाएगी। उनकी सुनवाई विगत 10 अगस्त को ही पूरी हो चुकी है, मगर न तो रेजान को और न ही उनके वकील को अब तक फैसले या सजा के बारे में कुछ बताया गया है।
उन्हें हिरासत में रखकर ईरान खुलेआम अपने ही कानूनों का उल्लंघन कर रहा है। मगर दुर्भाग्य से इस तरह का मनमाना और क्रूर व्यवहार पूरी दुनिया में खबरनवीसों के साथ आम बात है। अगर सीपीजे की ही मानें, तो विगत एक दिसंबर तक दुनिया के 28 मुल्कों में 199 पत्रकार अपने कर्तव्यों के निर्वाह के कारण जेलों में हैं।
इतना ही नहीं, वर्ष 2015 में 70 मीडियाकर्मी मारे गए हैं। सीरिया लगातार चार वर्षों से खबरनवीसों के लिए सबसे खतरनाक मुल्क बना हुआ है, जहां इस वर्ष 13 पत्रकार मारे गए। दूसरा देश आश्चर्यजनक रूप से फ्रांस है, जहां कुल नौ पत्रकारों की मौत हुई, जिनमें से आठ व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो पर अल-कायदा के हमले में ही मारे गए थे।
सीपीजे की रिपोर्ट कहती है कि इस वर्ष लगभग 40 फीसदी पत्रकारों को जेहादी गुटों ने मौत की नींद सुलाई है। मगर पत्रकार वहां भी मारे गए, जहां आईएस या अल-कायदा की उपस्थिति नहीं है। ऐसे देशों में ब्राजील, घाना, दक्षिणी सूडान और पोलैंड शामिल हैं। वहीं, ईरान के साथ-साथ चीन, मिस्र और तुर्की भी उन देशों की सूची में शामिल हैं, जहां पर पत्रकारों को जेलों में ठूंसा गया। ऐसे पत्रकारों में करीब एक चौथाई तो अकेले चीन में बंद हैं। मगर प्रेस की स्वतंत्रता में सबसे तेज गिरावट मिस्र में दिखने को मिली, जहां पिछले वर्ष की तुलना में दोगुने पत्रकार, यानी 23 खबरनवीस इस वर्ष बेडि़यों में जकड़े गए। वैसे तो अन्य पश्चिमी एजेंसियों की तरह हमारा विदेश मंत्रालय भी विरोध दर्ज जरूर करता है, मगर उस पर सुनवाई विरले ही होती है। रेजानी इसी की कीमत चुका रहे हैं।
द वाशिंगटन पोस्ट, अमेरिका