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आईएसआईएस ने बनाया इस्लामिक स्टेट, बगदादी खलीफा

इराक और सीरिया के बड़े भू-भाग पर कब्जा जमा चुके आईएसआईएस ने एक नई सत्ता (इस्लामिक स्टेट) घोषित करते हुए अपने सरगना (अबू बकर अल बगदादी) को खलीफा का दर्जा देकर दुनिया भर के जिहादियों और मुसलमानों से...

आईएसआईएस ने बनाया इस्लामिक स्टेट, बगदादी खलीफा
एजेंसीMon, 30 Jun 2014 03:58 PM
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इराक और सीरिया के बड़े भू-भाग पर कब्जा जमा चुके आईएसआईएस ने एक नई सत्ता (इस्लामिक स्टेट) घोषित करते हुए अपने सरगना (अबू बकर अल बगदादी) को खलीफा का दर्जा देकर दुनिया भर के जिहादियों और मुसलमानों से उनका अनुसरण करने को कहा है।

जिहादियों ने अपनी वेबसाइट पर यह संदेश जारी किया है। दिलचस्प बात यह है कि अब तक आईएसआईएस को दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन अलकायदा की एक शाखा के रूप में देखा जाता था, लेकिन अब यह उसकी सत्ता को भी चुनौती देने के लिए खड़ा हो गया है, हालांकि अलकायदा पहले ही इस संगठन से अपना नाता तोड़ने की बात कह चुका है।

सुन्नी आतंकवादियों के प्रवक्ता अबू मोहम्मद अल अदनानी की ओर से वेबसाइट पर जारी संदेश में कहा गया है कि आगे से संगठन को आईएसआईएस नहीं, बल्कि इस्लामिक स्टेट के रूप में जाना जाए और उसके सरगना अबू बक्र अल बगदादी को दुनिया भर के मुसलमानों का खलीफा माना जाए।

संगठन के आधिकारिक कामकाज में आगे से इस्लामिक स्टेट के नाम का ही प्रयोग किया जाए। इस संदेश का अरबी सहित दुनिया की कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है। वेबसाइट पर से संगठन का नाम आईएसआईएस से हटाकर इस्लामिक स्टेट लिख दिया गया है।

विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि अमेरिका पर 9/11 के हमले के बाद जिहादियों की ओर से यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी योजनाबद्ध तरीके से उठाया गया कदम है। इसका सबसे बड़ा असर यह होगा कि ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के साथ विभिन्न गुटों में बंट चुके अलकायदा की जगह अब जिहादियों को पहली बार एक जुट होकर किसी संगठन की छत्रछाया में खड़े होने का मौका मिलेगा।

कुछ दिलचस्प बातें:
- आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया) को आईएसआईएल (इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड दी लीवेंट) के नाम से भी जाना जाता है। 2003 में सद्दाम हुसैन के पतन के बाद अमेरिका और इराक के खिलाफ ताहिद और जिहाद से एक सुन्नी समूह के रूप में आईएसआईएस ने अपनी जड़ें फैलानी शुरू कीं।

- ताहिद का नेता अबू मुसाब अल जरकावी जॉर्डन का रहने वाला था। वर्ष 2004 में उसने अपनी निष्ठा अल कायदा के लिए जताई और इराक में उसे नया नाम दिया। इसके बाद उसने अमेरिकी और इराकी ठिकानों पर आत्मघाती हमलों से एक अभियान चला दिया।

- हालांकि कई इराकियों ने उसके इस अभियान को खारिज कर दिया। जरकावी को हिप से मशीनगन चलाते हुए एक मशहूर फिल्म में दिखाया गया था। अमेरिका के नंबर एक दुश्मन बन चुके जरकावी को 2006 में मौत के घाट उतार दिया गया।

- जरकावी की मौत के बाद इसे इस्लामिक स्टेट इन इराक या आईएसआई के नाम से जाना गया और नए नेता अबू उमर अल बगदादी को इसका सरगना बनाया गया। हालांकि, कई ने बगदादी के विदेशी होने का भी दावा किया।

- समूह का नेतृत्व करते हुए बगदादी ने सांप्रदायिक और अमेरिकी ठिकानों पर हमला जारी रखा। हालांकि वर्ष 2010 में अमेरिकी और इराकी बलों ने उसे मार गिराया। इसके बाद अबू बकर अल बगदादी को संगठन का सरगना बनाया गया। अबू बकर का असली नाम इब्राहिम अवाद इब्राहिम अल बद्री है।

- अबू बकर अल बगदादी के सरगना बनने के बाद इस संगठन को आईएसआईएस के नाम से जाना जाने लगा और इस समूह की कमान संभालने के बाद उसने इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला दी। बगदादी के इतिहास के बारे में कुछ ही लोग जानते हैं। ऐसा समझा जाता है कि उसने 2005 में इराक में अमेरिकी सेना द्वारा पकड़े जाने के बाद जेल में पांच साल बिताए थे।

- वर्ष 2012 में बगदादी ने अपना ध्यान सीरिया में आगे बढ़ने की ओर लगाया। वहां जब गृहयुद्ध बढ़ गया और विद्रोही गुट आपस में भिड़ने लगे तो उसने अपने कमांडरों को सीमा पर भेजना शुरू कर दिया। वहां धीरे-धीरे अपनी पैठ बनाने लगा।

जानिए आखिर क्या है आईएसआईएस
आईएसआईएस एक जिहादी संगठन है, जो इराक और सीरिया में सक्रिय है। इसकी स्थापना अप्रैल 2013 में की गई थी और यह काफी तेजी से बढ़ रहा है।

यह सीरिया में सरकारी सुरक्षा बलों से लड़ रहे संगठनों में प्रमुख संगठन है। आईएसआईएस में बड़ी तादाद में विदेशी लड़ाके भी शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य इराक और सीरिया के सुन्नी इलाकों को इस्लामिक स्टेट बनाना है।

लीवेंट दक्षिणी तुर्की से लेकर मिस्र तक के क्षेत्र का पारंपरिक नाम है। संगठन दावा करता है कि उसमें इराक के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और कई यूरोपियन देशों के फाइटर्स शामिल हैं। इसके अलावा संगठन अमेरिका और अरब वर्ल्ड से भी बड़ी तादाद में लोगों के शामिल होने का दावा करता है।

तेजी से बढ़ रही है ताकत
इराक में वर्ष 2006 में आतंकी संगठन अल-कायदा काफी सक्रिय था। इसका मुखिया अबु मुसाब अल-जरकावी था। अल-कायदा इराक में बहुसंख्यक शिया समुदाय के विरुद्ध युद्ध का माहौल बनाना चाहता था। अल-कायदा 2006 में अपने मकसद में कामयाब हो गया। दरसअल, यहां पर शियाओं के प्रमुख धर्मस्थल अल-अस्कारिया मस्जिद पर हमले किए गए।

शियाओं ने जवाबी हमले किए और तनाव बढ़ने लगा। वर्ष 2006 में ही इराक पर अमेरिकी फौजों के हमले में अल-जरकारी की मौत के बाद आईएसआईएस लगभग समाप्त हो गया था, लेकिन इराक से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद यह दोबारा बढ़ने लगा। अल-कायदा ने 2006 में खुद को द इस्लामिक स्टेट इन इराक (आईएसआई) कहना शुरू कर दिया था, लेकिन अप्रैल 2013 में सीरीया पर कब्जे के बाद इसके साथ ‘एंड सीरिया’ भी जुड़ गया।

नए संगठन ने इराक में सुन्नियों की इस भावना का फायदा उठाया कि उनके प्रधानमंत्री नूरी अल-मलिकी शिया समुदाय के हैं और सरकार उनके बारे में नहीं सोचती है। इस तरह यह संगठन इराक में मजबूत होता गया।

 

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