अंतरजनपदीय साइबर जालसाजों का गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ा
क्राइम ब्रांच और पुलिस ने शुक्रवार को बड़ागांव क्षेत्र के बसनी गांव के पास से साइबर जालसाजों के अंतरजनपदीय गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इनके पास से एक बोलेरो और एक कार, 11 हजार...
क्राइम ब्रांच और पुलिस ने शुक्रवार को बड़ागांव क्षेत्र के बसनी गांव के पास से साइबर जालसाजों के अंतरजनपदीय गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इनके पास से एक बोलेरो और एक कार, 11 हजार रुपये, 6 मोबाइल, 17 विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड बरामद किए है। गिरोह के चार फरार सदस्यों की पुलिस तलाश कर रही है।
एसएसपी नितिन तिवारी ने शुक्रवार को पुलिस लाइन के सभागार में जालसाजों को मीडिया के सामने पेश किया। बताया कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में आएदिन एटीएम कार्ड बदलकर या ऑनलाइन खरीदारी के दौरान जालसाजी के शिकार लोगों की शिकायतें मिल रहीं थीं। इसके खुलासे के लिए पिछले दिनों क्राइम ब्रांच प्रभारी ओमनारायण सिंह के नेतृत्व में टीम बनी। टीम को मुखबिर से सूचना मिली कि गिरोह के नौ सदस्य बसनी में बोलेरो और मारुति कार से घूमकर शिकार की तलाश कर रहे हैं। क्राइम ब्रांच ने एसओ बड़ागांव दिलीप सिंह को सूचना दी।
टीम ने घेरेबंदी कर आजमगढ़ के मेहनाजपुर के खजुरा गांव के शब्बीर उर्फ गोलू, मेहनाजपुर के ही नसरुद्दीन, रानीपुर के जितेंद्र यादव उर्फ छोटू, चंदवक जौनपुर के दानिश, केराकत (जौनपुर) के मो. मुबारक को गिरफ्तार कर लिया। मौके से उनके साथी अली अहमद, मुन्ना सिंह, अमिताभ, खैरुल बशर भाग निकले। ये चारों आजमगढ़, जौनपुर और गाजीपुर के निवासी हैं। जालसाजों ने बताया कि वे वाराणसी, आजमगढ़, जौनपुर, गाजीपुर और आसपास के जिलों में 300 से अधिक घटनाएं कर चुके हैं। अकेले वाराणसी में 30 लोगों को शिकार बनाया है। गिरोह के पास आधा दर्जन से अधिक चार पहिया वाहन हैं।
हाथ की सफाई से कर देते थे हजारों पार
वाराणसी। जालसाज चार पहिया वाहन से एटीएम के आसपास मौजूद रहते थे। एटीएम की कार्यप्रणाली के बारे में कम जानकारी रखनेवाले लोगों की पहचान पहले कर लेते थे। जैसी ही उपभोक्ता मशीन के पास खड़ा होता, पीछे से तीन-चार जालसाज लाइन लगा लेते। उपभोक्ता के पासवर्ड डालते ही पीछेवाला व्यक्ति अपनी तर्जनी ऊंगली से मशीन पर लगाकर स्टार बटन दबा देता था। इससे एटीएम हैंग हो जाता। स्क्रीन पर कुछ दिखायी नहीं देता। तब पीछे खड़े गिरोह के अन्य सदस्य हड़बड़ी मचाने लगते। शिकार को बताया जाता कि मशीन खराब है। रुपये नहीं निकलेंगे। जब उपभेक्ता चला जाता तो स्टार बटन से ऊंगली हटाकर उपभोक्ता की ओर से भरी गयी धनराशि निकाल लेते थे।
दूसरी प्रक्रिया में मशीन के हैंग होने से परेशान उपभोक्ता के जालसाज मददगार बन जाते थे। उसका कार्ड लेकर मशीन में डालते और पासवर्ड भी पूछ लेते थे। इसी दौरान मौका पाकर कार्ड बदल दिया जाता रहा। उपभोक्ता बदले हुए कार्ड को अपना समझकर उसे लेकर चला जाता था। इसके बाद जालसाज उसी के कार्ड व पासवर्ड के जरिए रुपये निकालते और ऑनलाइन खरीदारी कर लेते थे।