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पर्यटन व्यवसाय चौपट, होटलों पर बंदी की मार

मधेसी आन्दोलन से आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक संकट के साथ ही भारत-नेपाल के व्यावसायिक रिश्ते भी प्रभावित होने लगे हैं। खासकर नेपाल के होटल और पर्यटन का तो बुरा हाल है। इसमें बुटवल, पोखरा और...

पर्यटन व्यवसाय चौपट, होटलों पर बंदी की मार
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 12 Dec 2015 08:44 PM
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मधेसी आन्दोलन से आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक संकट के साथ ही भारत-नेपाल के व्यावसायिक रिश्ते भी प्रभावित होने लगे हैं। खासकर नेपाल के होटल और पर्यटन का तो बुरा हाल है।

इसमें बुटवल, पोखरा और काठमाण्डू जैसे पर्यटन स्थलों में भारतीय निवेश भी तेजी से प्रभावित हो रहा है। आन्दोलन के बीच पर्यटकों को धमकी और उनको निशाना बनाए जाने से भी लोग नेपाल जाने से कतराने लगे हैं। नवम्बर में भैरहवा-लुम्बिनी मार्ग पर विदेशी पर्यटकों के वाहनों को बंधक बनाना।

नेपाल के बेलहिया भंसार के पास वाहन जलाना और भैरहवा के पास पर्यटक बस से डीजल लूटने जैसी घटनाओं से भी पर्यटकों के पांव नेपाल जाने से ठिठके हैं। इसका सीधा असर नेपाल के प्रमुख आय के स्रोत पर्यटन पर पड़ा है। बाहरी लोगों के नहीं आने से होटल और रेस्टोरेंट भी सूने पड़े हैं। थल मार्ग से भारत से नेपाल सबसे ज्यादा पर्यटक सोनौली के रास्ते जाते हैं। इसके अतिरिक्त काकरभिट्टा, नेपालगंज, जोगवनी, महेन्द्रनगर और वीरगंज से भी लोग नेपाल पहुंचते हैं।

नेपाल पर्यटन विभाग के अनुसार पहले इन रास्तों से रोजाना करीब 10 हजार पर्यटक आते थे। लेकिन अब यह संख्या घटकर दो हजार पर सिमट गई है। नेपाल पर्यटन की कमर भूकंप से पहले ही टूट गई थी। रही सही कसर मधेसी आन्दोलन ने पूरी कर दी। गैस आपूर्ति पहले ही लड़खड़ाई थी और फिर एक के बाद एक पर्यटकों के निशाना बनाने पर असुरक्षा का भाव ऐसा बढ़ा कि भारत के साथ ही बर्मा, थाईलैंड, श्रीलंका और म्यांमार के पर्यटकों ने नेपाल से मुंह ही मोड़ लिया।

प्रमुख होटलों से हटा मेन्यू कार्ड
आन्दोलन से गैस की व्यवस्था ऐसी लड़खड़ाई है कि होटलों में लकड़ी और इंडक्शन कूकर पर खाना पकाना पड़ रहा है। ऐसे में सभी प्रमुख होटलों ने मेन्यू के अनुसार ऑन डिमांड खाना देना बंद कर दिया है। अब लंच और डिनर में वही परोसा जा रहा है जो होटल के सेफ ने पहले से तैयार किया है। उपभोक्ताओं को परेशानी से बचाने के लिए मेन्यू कार्ड भी रेस्त्रां से हटा लिया गया है। बस मेन्यू चार्ट में पहले से बने भेजन का जिक्र कर दिया जा रहा है। ईर्ंधन बचाने के लिए चाय-कॉफी भी इलेक्ट्रॉनिक केतली से तैयार की जा रही है। 

नेपाल के प्रमुख पर्यटन स्थल
लुम्बनी, पोखरा, चितवन, काठमांडू, मुक्तिनाथ, मनोकामना, जनकपुर, पाल्पा, लुक्ला और माउन्ट एवरेस्ट । 

धार्मिक टूर का खराब हाल
नेपाल में भारत से जाने वाले पर्यटकों में सबसे ज्यादा संख्या दक्षिण भारत और गुजरात की है। यहां के लोग प्रमुख रूप से धार्मिक टूर पर पशुपतिनाथ और मनोकामना मंदिर के दर्शन के लिए जाते हैं। लेकिन 25 अप्रैल को आए भूकंप और उसके बाद सितंबर से मधेस आन्दोलन के कारण बढ़ी हिंसक घटनाओं से   धार्मिक टूर पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इसके साथ ही चीन, म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड के बौद्ध पर्यटक बोध गया, सारनाथ, वाराणसी, कुशीनगर और श्रावस्ती से ही लौट जा रहे हैं। 

कसिनो और डांस बार में सन्नाटा
नेपाल जाने वाले पर्यटकों में कसिनो और डांस बार के भी शौकीन होते हैं। यहां विशेषकर भारतीय पर्यटकों की खास खातिरदारी की जाती है। दिसंबर से जनवरी तक यहां के सभी कसिनो और डांस बार फुल रहते थे। अभी दिसंबर का दूसरा सप्ताह बीतने को है, लेकिन सभी जगहों से रौनक गायब है।

एडवेंचरस टूर भी रद
एडवेंचरस स्पोर्ट्स टूर के लिए राफटिंग, पैराग्लाइडिंग, अल्ट्रालाइट, एवरेस्ट माउन्टन फ्लाइट, जिमपिंग, माउन्टेन ट्रेनिंग के लिए यहां आए पर्यटकों की अच्छी संख्या रहती हैं। इसके लिए वर्मा और थाइलैंड से भी पर्यटक नेपाल पहुंचते हैं, लेकिन इस बार इस क्षेत्र में भी आन्दोलन का असर साफ दिख रहा है।  

होटल संघ की सुनिए परेशानी
पश्चिमांचल होटल संघ पोखरा के अध्यक्ष भरत पोखरेल ने बताया कि मात्र 10 प्रतिशत ही विदेशी पर्यटक रह गए हैं। हालांकि नवंबर से जनवरी तक पोखरा 70 प्रतिशत विदेशी पर्यटकों से भरा रहता था।

सिद्धार्थ होटल एसोसिएशन भैरहवा के अध्यक्ष चन्द्रप्रकाश श्रेष्ठ बताते हैं कि आन्दोलन से पर्यटन क्षेत्र को बड़ा नुकसान हुआ है। पर्यटकों से सबसे ज्यादा कमाई नवम्बर से जनवरी के बीच होती है। लेकिन इस बार लागत ही नहीं निकल रही है, कमाई तो दूर की बात है। 

होटल एसोसिएशन नेपाल के अध्यक्ष बीके श्रेष्ठ ने बताया कि मंदी के कारण लाखों कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। आन्दोलन के बीच में जो कर्मचारी हैं उन्हें घर से पैसा देना पड़ रहा है।

पर्यटकों को लुभाने की तैयारी
पोखरा होटल संघ ने निर्णय लिया है कि ईधन, पेट्रोल, डीजल की कमी के बाद भी जो मेहमान आएगा उसकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं रहेगी। इस दौरान कोई भी अतिरिक्त पैसे भी नहीं लिए जाएंगे।

छोटी गाडि़यों की नहीं हो रही बुकिंग
सिद्धार्थ यातायात संघ रुपन्देही के अध्यक्ष सारूमगर कहते हैं कि पर्यटकों की कमी से छोटी गाडि़यों की बुकिंग न के बराबर है। डीजल की किल्लत के कारण लोग बसों के ऊपर बैठने को मजबूर हैं।

कैंसिल कर दी बुकिंग
सिद्धार्थ होटल एसोसिएशन ऑफ टूर एंड ट्रेवलस के पूर्व अध्यक्ष श्रीचन्द्र गुप्ता ने बताया कि दिसंबर में बड़े दिन की छुप्ती के लिए करीब 400 बुकिंग की गई थी। लेकिन आन्दोलन के कारण सब रद करनी पड़ी। पर्यटक आने को ही तैयार नहीं हैं। 

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