ताजमहल की पच्चीकारी हुई कमजोर, मुख्य गुंबद मीनारों से हो रही अलग
ताजमहल की खूबसूरती जिन नायाब पत्थरों से है। उन्हीं संगमरमरी पत्थरों पर उकेरी गई पच्चीकारी कमजोर होकर उसकी सुंदरता को दाग लगा रही है। पच्चीकारी अब धीरे-धीरे अलग होती जा रही है। हालांकि पुरातत्व विभाग...
ताजमहल की खूबसूरती जिन नायाब पत्थरों से है। उन्हीं संगमरमरी पत्थरों पर उकेरी गई पच्चीकारी कमजोर होकर उसकी सुंदरता को दाग लगा रही है। पच्चीकारी अब धीरे-धीरे अलग होती जा रही है। हालांकि पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे वृहद स्तर पर संरक्षण का काम जल्द ही शुरू करा देंगे।
मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा मुख्य गुंबद पर जिस तरह की पच्चीकारी पसंद कर बनवाई गई। उसकी दुनियाभर में मिसाल दी जाती है। हर तरह के पौधे और बेल के रूप में ये संगमरमरी पत्थरों पर उकेरी गईं हैं। नायाब किस्म की ये धरोहर अब कमजोर पड़ती जा रही है। लंबे समय से संरक्षण कार्य न होने के कारण पच्चीकारी (इनले वर्क) पत्थरों से अलग हो रहीं हैं। उनमें दरारें पड़ गईं हैं। इनमें भरा गया मसाला भी उनका साथ छोड़ रहा है। इसी वजह से आए दिन पत्थर टूटकर गिर रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी मुख्य गुंबद की पच्चीकारी की है।
यहां चारों ओर दरारें पड़ने से पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी परेशान हैं। रसायन विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि समय रहते इनमें मसाला भरने का काम शुरू कराया जाना जरूरी है। अन्यथा आने वाले समय में काफी नुकसान हो सकता है। इस संबंध में अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. भुवन विक्रम सिंह ने बताया कि मुख्य गुंबद का संरक्षण कार्य कराया जाना। है। इसके लिए प्रस्ताव भी तैयार किया जा चुका है। जल्द ही निदेशालय से अनुमति मिलते ही काम शुरू करा दिया जाएगा।