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शहीद मुकुल के बूढ़े मां-बाप की आंखों के सामने छा गया अंधेरा

बेटे के मौत की खबर सुनते ही बूढ़े मां-बाप की आंखों के सामने अंधेरा छा गया। अचानक इस खबर पर कुछ देर तक किसी को विश्वास नहीं हुआ। सच्चाई का अहसाल होते ही मां फूट-फूट कर रोने लगी। देर शाम मुकुल के...

शहीद मुकुल के बूढ़े मां-बाप की आंखों के सामने छा गया अंधेरा
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 03 Jun 2016 01:46 PM
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बेटे के मौत की खबर सुनते ही बूढ़े मां-बाप की आंखों के सामने अंधेरा छा गया। अचानक इस खबर पर कुछ देर तक किसी को विश्वास नहीं हुआ। सच्चाई का अहसाल होते ही मां फूट-फूट कर रोने लगी।

देर शाम मुकुल के शहीद होने की खबर उसके गांव मानी कोठी, औरैया पहुंची। मां-बाप को जैसे ही उनके बारे में बताया गया दोनों थोड़ी देर के लिए स्तब्ध रह गए। थोड़ी देर तो कुछ समय़ में नहीं आया, आखों के सामने अंधेरा छाया रहा। कुछ मिनट सन्नाटे के बाद मां दहाड़ मारकर रोने लगी।

इसके बाद गांव में आसपास रहने वाले लोगों को उनके बारे में पता चला। मां-बाप अक्सर उनके पास जाकर रहते थे। गांव में मां-बाप को किसी तरह की असुविधा न हो इसके लिए सारे प्रबंध कर रखे थे। घर में एक नौकर था जो सभी कामकाज देखता था।

शहीद एसपी मुकुल व्दिवोदी के पिता श्रीचंद्र खंड विकास अधिकारी के पद से रिटायर होने के बाद पत्नी के साथ गांव में ही रहने लगे थे। चाचा से प्रेरित मुकुल में बचपन से ही पुलिस सेवा में जाने का जज्बा पैदा हो गया।आगरा में रहकर उन्होंने शिक्षा हासिल की। पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की। उनकी पहली पोस्टिंग मेरठ में बतौर सीओ हुई। इसके बाद कई जिलों में नौकरी करने के बाद वह आगरा में बतौर एसपी सिटी तैनात हुए।

गांव वालों की आखों में आंसुओं का सैलाब

मुकुल के मौत की खबर जिसने भी सुनी रात में ही उनके घर की ओर भागा। थोड़ी ही देर में उनके घर पर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई। घर पर मां-बाप को विलाप करते देख गांव वालों की आंखों से भी आंसुओं का सैलाब फूट पड़ा। मुकुल की मौत की खबर ने गांव के लोगों को झकझोर कर रख दिया।

मुकुल गांव में कम आते थे मगर गांव के लोगों को इस बात का अभिमान रहता था कि उनके गांव का लड़का अच्छे ओहदे पर है। गांव के लोग अपने बच्चों को मुकुल की तरह पढ़ लिखकर आगे बढ़ने की नजीर दिया करते थे। थोड़ी ही देर में गांव के लोग आगरा जाने की तैयारी में लग गए, बड़ी संख्या में लोग आगरा के लिए रवाना हो गए। कई घरों में शाम को चूल्हा नहीं जला, गमगीन लोग आगरा गए लोगों के वापस आने का इंतजार कर रहे हैं।

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