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सहकारी बैंकों को ले डूबा बांटे गए कर्ज का बोझ

प्रदेश सरकार की पहल पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त करने से महज चंद कदमों की दूरी पर खड़े पूर्वांचल के जिला सहकारी बैंकों ने अपनी बदहली की इबारत खुद लिखी थी। इन बैंकों ने...

सहकारी बैंकों को ले डूबा बांटे गए कर्ज का बोझ
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 29 Nov 2015 08:32 PM
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प्रदेश सरकार की पहल पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त करने से महज चंद कदमों की दूरी पर खड़े पूर्वांचल के जिला सहकारी बैंकों ने अपनी बदहली की इबारत खुद लिखी थी। इन बैंकों ने नियमों को ताक पर रखकर न सिर्फ जमकर खेती से इतर दूसरे कामों के लिए कर्ज बांटे थे बल्कि उनकी वसूली में भी हद दर्जे की लापरवाही बरती।

पूर्वांचल के 16 जिला सहकारी बैंकों को उबारने का प्रदेश सरकार का प्रयास अब अंतिम चरण में है। इन बैंकों को भी आरबीआई से बैंकिंग का लाइसेंस दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने शेष 173.62 करोड़ रुपए की धनराशि भी मंजूर कर दी थी। अब लाइसेंस के लिए आरबीआई के समक्ष आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। शासनादेश में यह भी कहा गया था कि यह धनराशि खर्च करने से पहले केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं नाबार्ड के बीच हुए एमओयू की शर्तों एवं योजना के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से तय गाइड लाइन का पालन करना होगा।

आरबीआई ने जिला सहकारी बैंकों के लिए भी बैंकिंग लाइसेंस अनिवार्य कर दिया है। 50 सहकारी बैंकों में 34 को प्रदेश सरकार ने पहले ही लाइसेंस दिलवा दिया था लेकिन 16 बैंक अभी तक लाइसेंस नहीं ले सके हैं। आरबीआई की ओर से डिपॉजिट लेने पर रोक के कारण इनकी माली हालत खराब हो गई है। यह बैंक पूर्वांचल के जिलों फैजाबाद, सुलतानपुर, सीतापुर, हरदोई, बहराइच, बस्ती, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, देवरिया, बलिया, आजमगढ़, जौनपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, फतेहपुर व वाराणसी में हैं। अब सहकारिता मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने खुद सभी जिला सहकारी बैंकों को कड़ी चेतावनी दी है और हर तरह के ऋणों की वसूली कराने को कहा है। उनकी इस चेतावनी से बैंकों के प्रबंधन पर दबाव बढ़ गया है।

 

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